कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके नाम से ही लोग घबरा जाते हैं। कैंसर की सबसे खतरनाक बात ये है कि ये धीरे-धीरे शरीर में बिना कोई खास लक्षण के बढ़ता है। अगर कैंसर की पहचान शुरूआती में ही हो जाए तो इसका इलाज करना आसान हो जाता है। मरीज की जान बचने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है। अगर समय पर इसका पता न चले तो यह जानलेवा हो सकता है। शुरुआती दौर में कैंसर के लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग अक्सर उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे से आगे चलकर और ज्यादा बढ़ जाता हैं।
कई बार कैंसर की शुरुआत हल्के दर्द या असहजता से होती है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन अगर किसी हिस्से में लगातार दर्द बना रहे और समय के साथ बढ़ता जाए, तो यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। डॉक्टरों ने कैंसर को अलग-अलग स्टेज में बांटते हैं, ताकि इलाज और गंभीरता को समझा जा सके। हाल ही में डॉक्टर तरंग कृष्णा ने कैंसर के अलग-अलग स्टेज के बारे में डिटेल्स में बताया है।
कैंसर की शुरुआत स्टेज-1 से होती है, जब यह सिर्फ एक जगह तक सीमित रहता है और आसपास नहीं फैलता। अगर ब्रेस्ट कैंसर की बात करें तो इस स्टेज में स्तन में छोटी सी गांठ बन सकती है, जो आमतौर पर 2 सेंटीमीटर से छोटी होती है। इस दौरान किसी तरह का दर्द या बड़ा लक्षण नहीं दिखता, इसलिए मरीज को पता भी नहीं चलता। लेकिन अगर इस समय नियमित जांच या स्क्रीनिंग की जाए तो कैंसर को आसानी से पकड़ा जा सकता है। शुरुआती स्टेज में इलाज शुरू हो जाए तो ठीक होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसलिए डॉक्टर समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराने की सलाह देते हैं।
स्टेज-2 में कैंसर की गांठ 2 सेंटीमीटर से बड़ी हो जाती है और यह थोड़ा ज्यादा एक्टिव हो जाता है, लेकिन अभी भी मुख्य रूप से उसी जगह तक सीमित रहता है। इस दौरान मरीज को गांठ या सूजन महसूस होने लगती है और कभी-कभी दर्द, थकान या असामान्य बदलाव भी दिख सकते हैं। इस स्टेज में इलाज संभव है, लेकिन स्टेज-1 की तुलना में थोड़ा कठिन होता है। डॉक्टर अक्सर सर्जरी, रेडिएशन या दवाइयों से कैंसर का इलाज करते हैं।
स्टेज-3 में कैंसर अपनी शुरुआती जगह से फैलकर आसपास की लसीकाग्रंथियों तक पहुंच जाता है। अब यह सिर्फ एक गांठ तक सीमित नहीं रहता और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी असर दिखाने लगता है। मरीज को गांठ बड़ी लगने लगती है और शरीर में असामान्य बदलाव स्पष्ट रूप से दिखने लगते हैं। यह स्टेज सीरिएस माना जाता है और इलाज लंबा और मुश्किल हो सकता है। अगर समय पर इलाज शुरू न किया जाए तो कैंसर जल्दी ही स्टेज-4 में पहुंच सकता है।
स्टेज-4 कैंसर सबसे सीरिएस स्टेज होता है, जब यह अपने शुरुआती स्थान से फैलकर शरीर के अन्य अहम अंगों जैसे फेफड़े, लिवर, हड्डियां या दिमाग तक पहुंच जाता है। इस स्तर पर बीमारी को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इलाज का मुख्य मकसद मरीज की तकलीफ कम करना और लाइफ को जितना हो सके लंबा बनाए रखना होता है। इसे अक्सर "एडवांस्ड कैंसर" कहा जाता है और यह सबसे चुनौतीपूर्ण स्थिति होती है।
कैंसर को समय रहते पकड़ लिया जाए तो मरीज का जान बचाना आसान होता है, लेकिन देर होने पर इलाज मुश्किल हो जाता है। किसी भी तरह की गांठ, असामान्य सूजन, लगातार खांसी या लंबे समय की थकान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर परिवार में किसी को पहले कैंसर हुआ हो तो और भी सतर्क रहना जरूरी है।