भारत में दिल की बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और ये चिंता का गंभीर विषय बन चुका है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल करीब 20 लाख लोग हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मामले हार्ट अटैक के होते हैं। पहले जहां ये बीमारी केवल उम्रदराज लोगों तक सीमित मानी जाती थी, वहीं अब 15 से 20 साल के युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक जीवनशैली, खराब खान-पान, शारीरिक निष्क्रियता और मानसिक तनाव इसके प्रमुख कारण हैं।
युवाओं में देर रात जागना, फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन और तनावपूर्ण दिनचर्या हार्ट पर बुरा असर डाल रही है। ये बदलाव न केवल चिंता बढ़ाने वाला है, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी भी है। समय रहते सतर्कता और जागरूकता ही इससे बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
हार्ट अटैक से पहले शरीर देता है ये संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक अचानक नहीं आता, बल्कि इसके लक्षण कुछ हफ्तों पहले ही दिखने लगते हैं। सीने में दबाव, भारीपन, जलन या दर्द इसका सबसे आम संकेत है। इसके अलावा बिना मेहनत के सांस फूलना, बाएं हाथ, कंधे, गर्दन, पीठ या जबड़े में दर्द, रात में नींद टूटना, उल्टी जैसा महसूस होना भी संकेत हो सकते हैं। कई बार पैरों या टखनों में सूजन भी इसका लक्षण होती है।
कैसे बचा सकते हैं समय रहते जान?
हार्ट अटैक के पहले 60 मिनट को ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है। इस समय इलाज मिलने पर 90% मामलों में जान बच सकती है। ऐसे समय पर सबसे पहले एम्बुलेंस या इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें। अकेले हों तो किसी को तुरंत सूचना दें। खुद वाहन चलाकर अस्पताल न जाएं।
एस्पिरिन कैसे कर सकती है मदद?
अगर आपको हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर 300 मिलीग्राम एस्पिरिन की गोली लें (अगर आपको इससे एलर्जी न हो)। ये खून को पतला कर थक्का बनने से रोक सकती है, जिससे हार्ट पर असर कम होता है। ये दिल को होने वाले नुकसान को 20–30% तक घटा सकती है।
नाइट्रोग्लिसरीन की गोली कब लें?
यदि आप हार्ट पेशेंट हैं, तो डॉक्टर द्वारा बताई गई नाइट्रोग्लिसरीन की दवा लें। ये दवा ब्लड वेसल्स को खोलकर दिल तक खून के बहाव को बेहतर करती है, जिससे सीने का दर्द कम होता है। लेकिन ये दवा भी डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
सीपीआर से मिल सकती है नई जिंदगी
अगर किसी को हार्ट अटैक के बाद होश नहीं है और वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो तुरंत सीपीआर देना जरूरी है। यदि सीपीआर देना न आता हो, तो “हैंड्स-ओनली” सीपीआर करें — यानी छाती के बीच हिस्से पर तेजी से दबाव डालें, करीब 100–120 बार प्रति मिनट। ये दिल की धड़कन और रक्त प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।