छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक के धनिकोर्ता गाँव के लोग पिछले कई महीनों से खौफ के साए में जी रहे हैं। कब किसे मौत का बुलावा आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। सिर्फ सीने में दर्द और खांसी के लक्षण नजर आते हैं। अब तक इन लक्षणो से ही एक महीने के भीतर 13 लोगों की मौत हो गई है। गांव में फैली इस रहस्यमयी बीमारी से प्रशासन के हाथ-पांव भी फूल गए हैँ। यह गांव नक्स्ल प्रभावित इलाके में हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं तक आम लोगों का पहुंच पाना बेहद कठिन है।
छोटे से इस गांव के हर घर से कोई न कोई बीमार है। इस बीमारी का पता अभी तक प्रशासन नहीं पता लगा सका है। जिससे गांव के लोग और ज्यादा डर के माहौल में जी रहे हैं। फिलहाल ग्रामीणों की जांच-पड़ताल के स्वास्थ्य विभाग ने जांच शिविर लगाए हैं। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि हाल ही में पांच मौतें हुई हैं, जिनमें से केवल दो के कारणों का पता लगाया जा रहा है। 13 लोगों की मौत नहीं हुई है। मौत की खबर अधिकारियों तक पहुंचने में समय लग रहा है।
सीने में दर्द और खांसी की शिकायत
जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर इस गांव में तुरंत एक स्वास्थ्य टीम भेजी गई। कहा जा रहा है कि सभी पीड़ितों ने मरने से पहले सीने में दर्द और लगातार खांसी की शिकायत की थी। सुकमा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कपिल देव कश्यप ने कहा कि हाल के दिनों में 5 मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि तीन लोगों की मौत जिला अस्पताल में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण हुई और अन्य दो के कारणों का पता लगाया जा रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंच चुकी है। जांच शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य टीम ने संभावित कारणों का पता लगाने के लिए सैंपल एकत्र किए हैं। हालांकि, अभी तक मौतों के सटीक कारण का खुलासा नहीं हो सका है।
क्या मौत की वजह मौसम में बदलाव है?
डॉ. कश्यप ने आगे बताया कि हमारी स्वास्थ्य टीम ने पाया कि इसका मुख्य कारण मौसम में बदलाव है। ग्रामीणों को ओआरएस दिया जा रहा है। वहीं गांव के लोग महुआ इकट्ठा करने के लिए जंगल जाने पर अड़े हुए हैं। घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है। जंगल से लौटने वाले या खेत में काम करने के बाद बहुत ज़्यादा पसीना आने वाले लोगों को ओआरएस दिया जा रहा है। बेचैनी की शिकायत वाले अन्य लोगों का इलाज किया जा रहा है। उनकी निगरानी की जा रही है।