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Dementia: डिमेंशिया की बीमारी को लेकर आया ये बड़ा अपडेट, शुरू होने से पहले दिखते हैं ये लक्षण!

Dementia: डिमेंशिया एक गंभीर बीमारी है जो दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और सोचने, समझने व बोलने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देती है। आमतौर पर इसके लक्षण देर से दिखते हैं लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक पैरों से जुड़ी कुछ संकेत इस बीमारी के शुरुआती लक्षण बता सकते हैं

अपडेटेड Aug 01, 2025 पर 6:16 PM
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बुजुर्गों में पैरों की मसल्स की ताकत ब्रेन के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत मानी जाती है (Photo: Canva)

डिमेंशिया दिमाग से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। डिमेंशिया की वजह से व्यक्ति की सोचने, समझने और बात करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। अक्सर माना जाता है कि डिमेंशिया दिमाग में धीरे-धीरे शुरू होता है और इसके लक्षण तब तक नजर नहीं आते जब तक याददाश्त कमजोर न होने लगे या भ्रम की स्थिति न बन जाए। लेकिन अब इस बीमारी पर हो रही रिसर्च में एक्सपर्ट पैरों से जुड़ी एक रोचक कड़ी पर भी ध्यान दे रहे हैं, जो डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों का संकेत दे सकती है।

2022 के एक स्टडी के मुताबिक, जो बुजुर्ग धीरे चलते हैं, उनमें दिमाग का आकार छोटा होने और कॉग्निटिव एबिलिटी घटने का खतरा ज्यादा होता है। यह सिर्फ जोड़ों की अकड़न या थकान नहीं, बल्कि चलना सीधे दिमाग से जुड़ी एक जटिल प्रक्रिया है।

रेगुलर एक्साइज जरूरी


बुजुर्गों में पैरों की मसल्स की ताकत ब्रेन के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत मानी जाती है। मजबूत पैर न सिर्फ बैलेंस और गतिशीलता बनाए रखते हैं, बल्कि दिमागी कमजोरी के खतरे को भी घटाते हैं। पैरों के रेगुलर एक्सरसाइज, बैलेंस पैक्टिस और लंबे समय तक खड़े रहने की आदत दिमाग को एक्टिव और स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकती है। यह मसल्स बनाने से ज्यादा मेंटली तौर पर फिट रहने के लिए जरूरी है।

वॉक से होते हैं ये फायदे

जब हम वॉक करते हैं तो ब्रेन के कई हिस्से एक्टिव हो जाते हैं। हर एक स्टेप ब्रेन के फ्रंटल लोब, सेरिबेलम और मैसेज भेजने के लिए स्पाइनल कॉर्ड मिलकर काम करते हैं। पैर ब्रेन को लगातार मैसेज भी भेजते हैं। इसलिए चलना सिर्फ एक्साइज नहीं है, बल्कि यह दिमागी सेहत के लिए भी जरूरी है। रिसर्च के मुताबिक, याददाश्त कमजोर पड़ने से पहले ही चलने के तरीके में बदलाव दिखाई देने लगते हैं।

होते है ये फायदे

वॉक करना ब्रेन के लिए सिर्फ एक्सरसाइज नहीं बल्कि उसके डेवलपमेंट का भी जरिया है। इससे ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) नामक तत्व बढ़ता है, जो मस्तिष्क की मसल्स को मजबूत करता है। नए कनेक्शन बनाने में मदद करता है और उन्हें लंबे समय तक सेफ रखता है। रेगुलर रूप से वॉक करने से से उम्र बढ़ने के बाद भी दिमाग तेज और एक्टिव बना रहता है। अगर वॉक के समय कोई परेशानी हो तो ये इसके संकेत हो सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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