डायबिटीज दुनियाभर में तेजी से फैल रही है। करोड़ों की तादाद में लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज से परेशान लोगों को ब्लड शुगर बढ़ जाता है। जिसे जिंदगी भर कंट्रोल करने की जरूरत रहती है। डायबिटीज की वजह से कई तरह की अन्य समस्याएं हो सकती है। जिसमें एक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी है। डायबिटीज के करीब 50-70 फीसदी मरीज हाइपरटेंशन (hypertension) यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से किडनी से जुड़ी बीमारियां (Kidney Disease), कार्डियोवैस्कुलर डिजिज (Cardiovascular Disease) और नर्व डैमेज (Nerve Damage) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डायबिटीज की बीमारी में शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर शुगर लेवल कंट्रोल न रहे तो इसका असर हार्ट, किडनी, आंखें, स्किन और ब्लड प्रेशर पर भी पड़ता है। कुल मिलाकर डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के लगभग हर अंग पर गंभीर असर करती है।
डायबिटीज मरीजों को क्यों हो जाती है हाई बीपी की बीमारी
डायबिटीज में इंसुलिन रजिस्टेंस होता है। जिससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही तरह से नहीं बन पाती है। इससे बीपी बढ़ सकता है। डायबिटीज मरीजों में वजन बढ़ना आम बात है। ये भी हाई बीपी का कारण बन सकता है। शुगर लेवल बढ़ने से नसों को नुकसान पहुंचता है। बीजी और डायबिटीज दोनों लाइफ स्टाइल से जुड़ी हुई बीमारियां हैं। इसलिए एक्सरसाइज न करने, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, स्मोकिंग, शराब का सेवन और कुछ अनुवांशिक कारण की वजह से डायबिटीज और हाइपरटेंशन का खतरा साथ-साथ चल सकता है। डायबिटीज में शुगर लेवल बढ़ता है तो इससे शरीर की नसों को नुकसान पहुंचने लगता है। इसकी वजह से नसें संकरी होने लगती हैं। जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता है। वहीं ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक आने का रिस्क रहता है। ऐसे में डायबिटीज को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।
हाइपरटेंशन से बचने क्या करना चाहिए
1 - मोटापा कम करें, हेल्दी वेट मेंटेन रखें।
3 - पोटैशियम से भरपूर आहार लें।
4 - हर दिन एक्सरसाइज करें।
5 - समय पर दवाई लेना चाहिए।
6 - सिगरेट और शराब से दूरी बनाएं।
7 - रोजाना 6-7 घंटे की पूरी नीद लें. दिन में भी आराम करें।
8 - स्ट्रेस को बढ़ने न दें। इसके साथ ही नियमित तौर पर ब्लड शुगर और बीपी लेवल चेक करते रहें।
1 - खानपान का ध्यान रखें।
2 - रोजाना एक्सरसाइज करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।