आज के दौर में डायबिटीज एक सामान्य बीमारी बन चुकी है, जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रही है। इस बीमारी का मुख्य कारण खून में शुगर का स्तर अधिक बढ़ जाना है, जिससे शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। गलत खानपान, गतिहीन जीवनशैली और तनाव इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं। हालांकि, डायबिटीज का एक कारण अनुवांशिक भी हो सकता है, यानी यदि परिवार में किसी को यह समस्या हो, तो उसके बाद के पीढ़ी में भी इसका खतरा रहता है। मगर वर्तमान समय में, खासकर बढ़ती उम्र, असमय आहार, और गलत जीवनशैली के कारण यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
खासतौर पर, अधिक मात्रा में शक्कर और तले-भुने भोजन का सेवन इसके कारण बन रहे हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, ताकि शुगर को कंट्रोल किया जा सके।
क्या डायबिटीज में पपीता खाना चाहिए?
डायबिटीज के मरीजों के मन में अक्सर ये सवाल रहता है कि पपीता खा सकते हैं या नहीं। इसकी पुष्टि के लिए इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) देखा जाता है, जो कि 60 है। यह मध्यम श्रेणी में आता है, यानी यह खाने के बाद ब्लड शुगर को बहुत तेजी से नहीं बढ़ाता। इसलिए सीमित मात्रा में इसका सेवन किया जा सकता है।
कच्चा या पका पपीता – कौन बेहतर?
डायबिटीज के मरीजों के लिए कच्चा पपीता ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा कम होती है और फाइबर अधिक होता है। इसके अलावा, इसमें लेटेक्स नामक तत्व होता है, जो शरीर की सफाई में मदद करता है। वहीं पका हुआ पपीता भी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो इंसुलिन सेल्स को सक्रिय करता है और शुगर के मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाता है।
पाचन और कब्ज की समस्या में भी लाभकारी
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अक्सर कब्ज की समस्या रहती है। पपीता में मौजूद फाइबर इस समस्या को दूर करता है और पाचन को मजबूत बनाता है। यह पेट को साफ रखने में भी मदद करता है।
डायबिटीज के मरीजों को दिन में एक कप से ज्यादा पपीता नहीं खाना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। सबसे अच्छा समय सुबह के नाश्ते के बाद या करीब 10 बजे दिन में होता है। इसे आप नाश्ते, लंच के बाद या हेल्दी स्नैक के तौर पर खा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।