डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए सबसे मुश्किल काम होता है मीठे की इच्छा को कंट्रोल करना। पारंपरिक सफेद चीनी जहां ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा देती है, वहीं अब एक नेचुरल और हेल्दी विकल्प के रूप में कोकोनट शुगर तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ये नारियल के फूलों से मिलने वाले रस को धीमी आंच पर पकाकर बनाई जाती है, जिससे इसका पोषण बना रहता है और ये किसी भी तरह की प्रोसेसिंग से दूर रहती है। इसमें आयरन, जिंक, पोटैशियम, कैल्शियम और घुलनशील फाइबर मौजूद होते हैं जो न केवल स्वाद में मीठास भरते हैं, बल्कि शरीर के लिए फायदेमंद भी साबित होते हैं।
खास बात ये है कि कोकोनट शुगर ब्लड शुगर को अचानक नहीं बढ़ाती, जिससे डायबिटिक लोग भी सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं। अगर आप मीठे के शौकीन हैं लेकिन सेहत से समझौता नहीं करना चाहते, तो ये विकल्प आपके लिए बेस्ट हो सकता है।
कैसे बनती है कोकोनट शुगर?
कोकोनट शुगर नारियल के फूलों से निकलने वाले रस को धीमी आंच पर पकाकर बनाई जाती है। ये प्रक्रिया इसे पूरी तरह नेचुरल और केमिकल-फ्री बनाती है। इसमें आयरन, पोटैशियम, जिंक और फाइबर जैसे अहम पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
ब्लड शुगर को कैसे कंट्रोल करती है?
इसमें मौजूद इंसुलिन और घुलनशील फाइबर शरीर में शुगर के तेजी से बढ़ने यानी 'स्पाइक' को रोकते हैं। इससे डायबिटीज के लक्षण जैसे थकान, पसीना आना और लो एनर्जी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
कोकोनट शुगर सफेद चीनी की तुलना में शरीर में फैट नहीं बढ़ाती। यह धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करती है, जिससे लंबे समय तक एक्टिवनेस बनी रहती है और ओवरईटिंग से बचाव होता है।
सफेद चीनी से कैसे अलग है?
जहां सफेद चीनी सिर्फ फ्रुक्टोज देती है और पोषण से खाली होती है, वहीं कोकोनट शुगर में 16 तरह के अमीनो एसिड्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो शरीर की इम्युनिटी और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करते हैं।
सेहत की मिठास, स्वाद के साथ
कोकोनट शुगर सिर्फ एक मिठास नहीं, बल्कि एक सेहतमंद विकल्प है। डायबिटिक लोग इसे सीमित मात्रा में शामिल कर सकते हैं और बिना गिल्ट के मीठा एंजॉय कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।