दिल हमारे शरीर का वो हिस्सा है, जो बिना रुके दिन-रात काम करता है और शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन युक्त खून पहुंचाता है। अगर दिल थक जाए या उसमें कोई परेशानी आ जाए, तो इसका असर सीधे हमारी जान पर पड़ सकता है। ऐसी ही एक गंभीर स्थिति है – पेरिकार्डियल इफ्यूजन, जिसमें दिल के चारों ओर मौजूद पतली झिल्ली में तरल पदार्थ जमा होने लगता है। शुरुआत में इसके लक्षण सामान्य लग सकते हैं, जैसे सांस फूलना या सीने में भारीपन, लेकिन समय रहते इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा भी बन सकती है। पेरिकार्डियल इफ्यूजन को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि इसके संकेत अन्य हार्ट प्रॉब्लम्स से मिलते-जुलते होते हैं।
ऐसे में इस बीमारी को पहचानना और समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और इससे बचाव के उपाय, ताकि दिल को हमेशा स्वस्थ रखा जा सके।
क्या होता है पेरिकार्डियल इफ्यूजन?
ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल के चारों ओर मौजूद सुरक्षात्मक झिल्ली (पेरिकार्डियम) में अतिरिक्त पानी इकट्ठा हो जाता है। ये तरल धीरे-धीरे दिल पर दबाव डालता है और उसकी पंपिंग क्षमता को प्रभावित करता है।
ये हो सकते हैं शुरुआती संकेत
पेरिकार्डियल इफ्यूजन के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और शुरुआत में इन्हें नजरअंदाज करना आसान होता है। लेकिन समय रहते पहचान जरूरी है
सीने में तेज या लगातार दर्द
चक्कर या अचानक बेहोश हो जाना
थकावट, घबराहट और भ्रम जैसी स्थिति
किन कारणों से हो सकता है यह रोग?
पेरिकार्डियल इफ्यूजन कई तरह की अंदरूनी समस्याओं की वजह से हो सकता है:
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण
ऑटोइम्यून बीमारियां (जैसे ल्यूपस)
कैंसर या थायराइड की बीमारी
कैसे रखें दिल को इस खतरे से सुरक्षित?
दिल से जुड़ी किसी भी अनियमितता को समय रहते पकड़ने के लिए नियमित चेकअप कराना जरूरी है।
2. हेल्दी डाइट और एक्टिव लाइफस्टाइल:
संतुलित आहार और रोजाना थोड़ी बहुत फिजिकल एक्टिविटी आपको दिल की कई समस्याओं से बचा सकती है।
मेंटल स्ट्रेस भी हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है। ध्यान, योग और सही नींद इसमें मददगार हो सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।