हमारे शरीर में किडनी यानी गुर्दे ऐसे अंग हैं, जो हर पल खून को साफ कर विषैले तत्वों और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालते रहते हैं। यही नहीं, ये हार्मोन बनाकर ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने से लेकर हड्डियों को मजबूत रखने तक का काम भी करते हैं। लेकिन जब गुर्दों की कार्यप्रणाली प्रभावित होने लगती है, तो शरीर धीरे-धीरे अंदर से जहर फैलने लगता है। शुरू में इसके लक्षण सामान्य थकान या हल्की सूजन जैसे होते हैं, जिन्हें लोग अक्सर छोटी-मोटी परेशानी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। यही लापरवाही किडनी फेल होने जैसी खतरनाक स्थिति की वजह बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि शरीर में आने वाले बदलावों को समय रहते पहचाना जाए।
पैरों और टखनों में दर्द या सूजन
जब किडनी पूरी तरह से फिल्टर का काम नहीं कर पाती, तो शरीर से पानी और सोडियम बाहर नहीं निकल पाता। ये तरल पदार्थ पैरों और टखनों जैसे निचले हिस्सों में जमा होकर सूजन और दर्द का कारण बनते हैं। ये सूजन शुरुआत में हल्की हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे भारीपन और चलने-फिरने में दिक्कत तक पहुंच सकती है। अगर बिना किसी चोट या वजह के पैरों में अकड़न या सूजन दिखे, तो इसे हल्के में न लें।
लगातार थका-थका महसूस होना
अगर आप बिना ज्यादा काम किए भी हमेशा थकान, आलस्य या कमजोरी महसूस कर रहे हैं, तो ये भी किडनी फेलियर का संकेत हो सकता है। खराब किडनी एक खास हार्मोन एरीथ्रोपोइटिन नहीं बना पाती, जो शरीर में रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। इसके चलते शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है, जिससे शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। नतीजा – व्यक्ति बार-बार सोने के बाद भी थकान महसूस करता है।
त्वचा पर खुजली और रंग में बदलाव
अगर शरीर में लगातार खुजली रहती है या त्वचा रूखी और बेजान लगने लगे, तो ये भी एक अलर्ट है। किडनी खराब होने पर खून में जमा टॉक्सिन्स शरीर से बाहर नहीं निकलते और त्वचा के नीचे जमने लगते हैं। इससे त्वचा पर अक्सर खुजली, जलन या रंग पीला-भूरा पड़ने लगता है। कई बार ये सिर्फ स्किन प्रॉब्लम का नहीं बल्कि गुर्दों के कमजोर होने का संकेत होता है।
किडनी से जुड़ी दिक्कतों का सबसे बड़ा संकेत पेशाब की आदतों में बदलाव है। इसमें रात में बार-बार पेशाब आना, बहुत कम या ज्यादा आना, झागदार पेशाब (प्रोटीन लीक होने का संकेत), गहरा रंग या खून दिखाई देना शामिल है। ये सभी संकेत बताते हैं कि गुर्दे खून को ठीक से फिल्टर नहीं कर पा रहे। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत
किडनी फेल होने की स्थिति में शरीर से पानी बाहर नहीं निकल पाता, जिससे फेफड़ों के आसपास तरल जमा होने लगता है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कमजोर हेमोग्लोबिन की वजह से ऑक्सीजन की कमी भी सांस फूलने की स्थिति पैदा करती है। अगर सीढ़ियां चढ़ते या हल्का काम करते ही बार-बार सांस भरने लगे, तो इसे लंग्स की नहीं, बल्कि किडनी की चेतावनी भी समझें।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।