How To Reverse Biological Age: हर बीतते दिन के साथ हमसबकी उम्र भी बढ़ती है। पर हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वो बूढ़ा न हो और 50-60 सालों में भी 30 साल के युवा जैसा दिखे। देश के तामाम सेलिब्रिटीज उम्र होने के बाद भी फिल्मों से लेकर रियरलाइफ में बूढ़े नहीं दिखते। देश के ये बड़े सेलिब्रिटीज अपने फिटनेस और जवान दिखने के लिए काफी पैसे भी खर्च करते हैं लेकिन आम लोग के लिए इतना खर्च करना शायद मुमकिन नहीं है। वहीं आपकी लाइफस्टाइल और खान-पान अच्छा रहे, तो आप जल्दी बूढ़े नहीं होंगे। ये सुनकर हैरान हो रहे होंगे, लेकिन हाल ही में लंदन में रहने वाली एक डॉक्टर ने इस बात को साबित कर दिखाया है।
53 की उम्र में 23 साल बायोलॉजिकल एज
डॉक्टर अल्का पटेल लॉन्गेविटी और लाइफस्टाइल मेडिसिन स्पेशलिस्ट हैं। उन्होंने दावा किया है कि 53 साल की उम्र के बावजूद उनकी बायोलॉजिकल उम्र सिर्फ 23 साल है। जब किसी शख्स की बायोलॉजिकल उम्र कम होती है, तो इसका मतलब है कि उसके शरीर के ऑर्गन जवान हैं और अच्छी तरह काम कर रहे हैं। अगर बुढ़ापे तक बायोलॉजिकल उम्र कम रहे, तो आप ताउम्र जवां रह सकते हैं।
डॉक्टर अलका पटेल ने एक इंटरव्यू में बताया कि, बायोलॉजिकल उम्र का मतलब होता है शरीर की कोशिकाओं और अंगों की सेहत। यह उम्र इस बात से तय होती है कि आपके शरीर के अंदरूनी अंग कितने स्वस्थ हैं, न कि आपने कितने साल जिए हैं। उन्होंने बताया कि कम बायोलॉजिकल उम्र का मतलब है कि आपके दिल, दिमाग और त्वचा जैसे जरूरी अंग बहुत अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, जिससे लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है बायोलॉजिकल उम्र का मतलब
डॉ. अलका पटेल ने अपने इंटरव्यू में आगे कहा, "कम बायोलॉजिकल उम्र का मतलब है कि आपके शरीर की कोशिकाएं और अंग इस तरह से काम कर रहे हैं जैसे आप बहुत छोटी उम्र के हों, आपके दिल की सेहत, दिमाग की तेज़ी और त्वचा की चमक सब कुछ बेहतर होता है। यह सिर्फ खुद को अच्छा महसूस कराने की बात नहीं है, बल्कि असल में शरीर को अंदर से जवान बनाए रखने की बात है।"
डॉ. अलका पटेल का दूसरों की ज़िंदगी बेहतर बनाने का मकसद एक डरावने निजी अनुभव से जुड़ा है, जब वे खुद मौत के करीब पहुंच गई थीं। अपने 39वें जन्मदिन पर उन्हें गंभीर थकावट और तनाव (बर्नआउट) की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उन्होंने अपने मरीजों और परिवार की देखभाल करते हुए अपने ही स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दिया था, जिससे उनका शरीर पूरी तरह टूट गया। उन्होंने बताया, "मुझे तेज़ बुखार था और डॉक्टर भी कारण नहीं समझ पा रहे थे। उस वक्त मुझे डर था कि अगली सुबह मैं अपने बच्चों को देख भी पाऊंगी या नहीं।"
जब मौत के करीब आ गई थीं डॉ. अलका
डॉ. अलका पटेल की हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उनके शरीर के अंग काम करना बंद करने लगे थे। लगातार तेज़ बुखार की वजह समझने के लिए डॉक्टरों को आपातकालीन सर्जरी करनी पड़ी। बाद में उन्हें PUO यानी अज्ञात कारण से होने वाला बुखार (Pyrexia of Unknown Origin) बताया गया। इस सर्जरी के निशान आज भी उनके शरीर पर मौजूद हैं, जिन्हें वह अपने शारीरिक और मानसिक थकावट (बर्नआउट) की याद के तौर पर देखती हैं। डॉ. पटेल ने उस अनुभव को याद करते हुए कहा कि वह मौत के बहुत करीब पहुंच गई थीं और नहीं चाहती थीं कि कोई और ऐसा दर्द झेले। उन्होंने कहा कि वह अपने बच्चों को बिना माँ के छोड़ने को तैयार नहीं थीं। यह घटना सिर्फ़ उनके जीवन को नहीं, बल्कि उन्हें पूरी तरह बदल कर एक नया रूप दे गई।
इस तरह लाइफस्टाइल में किया बदलाव
ठीक होने के बाद डॉ. पटेल ने अपना पूरा ध्यान अपने स्वास्थ्य को ठीक करने और ऐसे असरदार तरीकों को अपनाने में लगा दिया, जो जीवन को लंबा और बेहतर बना सकें। उन्होंने बताया कि उनकी जैविक उम्र में आई जबरदस्त कमी का राज उनके खुद के बनाए हुए एक आसान लेकिन असरदार बायोहैकिंग रूटीन में है, जिसमें छह सरल दिनचर्याएं शामिल हैं।
डॉ. अलका पटेल ने अपनी बायोलॉजिकल उम्र घटाने के लिए जो छह आसान लेकिन असरदार बायोहैकिंग आदतें अपनाई -