खर्राटे लेना लगभग आम बात हो गई है। बहुत से लोग होते हैं जो रात में सोते समय खर्राटे लेते हैं। कुछ लोग खर्राटे इतना तेज लेते हैं कि आसपास सो रहे लोगों की नींद उड़ जाती है। ये मामूली लगने वाले खर्राटे गंभीर बीमारी का शिकार भी बना सकते हैं। रात में ज्यादा जोर से खर्राटे लेने से सेहत की बैंड बज सकती है। यह सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। हालांकि लगभग हर कोई कभी न कभी खर्राटे लेता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह एक क्रोनिक समस्या हो सकती है। आसान भाषा में रोज-रोज खर्राटे लेना अनहेल्दी होता है। इसके अलावा खर्राटे लेना आपके पार्टनर के लिए परेशानी का सबब भी बन सकता है।
खर्राटे रात को सोते समय गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने की वजह से आते हैं। कुछ लोगों को रात के समय सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, उन्हें नाक के रास्ते सांस लेते समय रुकावट महसूस होती है। इसलिए खर्राटे आते हैं। कुछ लोगों को रात के समय नाक बंद होने की परेशानी रहती है। उन्हें भी खर्राटे आते हैं। बूढ़े लोगों को ज्यादा खर्राटे आते हैं। इसकी वजह ये है कि इन लोगों की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं और ये लोग फिजिकल थोड़े कम एक्टिव होते हैं।
खर्राटे से डायबिटीज और हार्ट अटैक का खतरा
दिल्ली एनसीआर के मशहूर डॉक्टर चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर शरद जोशी ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि खर्राटे लेना आम बात है। कुछ लोगों के खर्राटे पैथोलॉजिकली होते हैं। पैथोलॉजिकल खर्राटे में होता यह है कि उनका ऑक्सीजन स्तर कम हो जाता है जिस वजह से बॉडी में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में शरीर में शुगर का स्तर भी बढ़ने लगता है। इतना ही नहीं इससे हार्ट रेट यानी दिल की गति भी बढ़ने लगती है। इसके साथ ही वजन भी बढ़ने लगता है। इससे पूरा शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। यह सब यह पैथोलॉजिकल खर्राटे की वजह से होता है। लिहाजा इन खर्राटों को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए। तेज खर्राटे आमतौर पर स्लीव एप्नीया का मुख्य लक्षण हैं।
1 - अपने सोने का पोश्चर बदलें, पीठ के बल कम सोएं।
2 - रूम में ह्यूमिडिफायर लगवाएं, इससे हवा में नमी बनी रहती है।
3 - अच्छी आदतों का पालन करें जैसे स्मोकिंग और शराब का सेवन कम करें।
4 - वेट मैनेजमेंट भी जरूरी है।
5 - परेशानी ज्यादा होने पर एक्सपर्ट की सलाह लें।