टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों को अपना खानपान बहुत सोच-समझकर रखना होता है। ऐसी स्थिति में इमली जैसी चीज को लेकर अक्सर मन में सवाल आता है – क्या इसे खाना ठीक है या नहीं? क्योंकि इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है और लोग सोचते हैं कि इससे ब्लड शुगर बढ़ सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इमली को सीमित मात्रा में खाया जाए तो यह नुकसान नहीं पहुंचाती। इमली में खूब सारे फाइबर और विटामिन होते हैं जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और शरीर को मजबूत रखते हैं।
बस याद रखें कि इमली का ज्यादा इस्तेमाल न करें और बहुत मीठी चटनी या बाजार की तैयार इमली कैंडी से दूर रहें। अगर सही मात्रा में इसका सेवन किया जाए और बाकी लाइफस्टाइल हेल्दी रखी जाए, तो डायबिटीज मरीज भी इमली का स्वाद ले सकते हैं।
इमली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कितना होता है?
इमली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स सिर्फ 23 होता है, जो इसे लो-जीआई फूड की श्रेणी में रखता है। इसका मतलब है कि ये धीरे-धीरे ग्लूकोज रिलीज करती है और अचानक शुगर नहीं बढ़ाती। इसलिए नियंत्रित मात्रा में इमली खाना टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक नहीं माना जाता।
इमली में विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, C, K और फोलेट के साथ-साथ मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन तथा फॉस्फोरस जैसे खनिज पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने और डायबिटीज से जुड़े दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।
इमली में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं। ये गुण शरीर में सूजन कम करने, संक्रमण से बचाने और कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में सहायक होते हैं। इसके कारण ये डायबिटीज के रोगियों के लिए हेल्दी विकल्प बन सकती है।
इमली के बीज और टाइप-2 डायबिटीज
एक शोध में पाया गया कि इमली के बीज का अर्क टाइप-2 डायबिटीज वाले चूहों में ब्लड शुगर स्तर को कम करने में प्रभावी रहा। इससे ये संकेत मिलता है कि इमली के बीज डायबिटीज कंट्रोल में उपयोगी हो सकते हैं। हालांकि इसका असर टाइप-1 डायबिटीज पर नहीं देखा गया।
टाइप-2 डायबिटीज मरीज इमली की चटनी या पानी सीमित मात्रा में ले सकते हैं। अच्छी बात ये है कि इमली फाइबरयुक्त होती है, जो पाचन में मदद करती है और शुगर को नियंत्रित रखती है। बीज को सुखाकर बनाए गए चूर्ण का सेवन भी डॉक्टर की सलाह से किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।