आज की तेज भागदौड़ भरी जिंदगी में जब हमारी दिनचर्या और खानपान गड़बड़ हो जाता है, तब बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में टाइफाइड एक ऐसी बीमारी है, जो अक्सर बारिश या दूषित पानी और खाने की वजह से फैलती है। ये बीमारी साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया से होती है और इससे तेज बुखार, सिरदर्द, भूख कम लगना, थकान और पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। इलाज के लिए दवाइयों के साथ-साथ शरीर को पोषण देना भी बहुत जरूरी होता है, जिससे जल्दी रिकवरी हो सके। आयुर्वेद में कुछ ऐसी प्राकृतिक चीजों का ज़िक्र किया गया है, जो बीमारी में शरीर को अंदर से मजबूती देती हैं।
इन्हीं में से एक है मुनक्का – एक छोटा सा सूखा फल, लेकिन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद। चलिए जानते हैं कि टाइफाइड जैसी कमजोरी देने वाली बीमारी में मुनक्का कैसे राहत दिला सकता है।
इम्यूनिटी बढ़ाने वाला प्राकृतिक टॉनिक
विशेषज्ञ बताते हैं कि मुनक्का में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और विटामिन C पाया जाता है। ये तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं, जिससे टाइफाइड जैसे संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है।
पाचन तंत्र को बनाए दुरुस्त
टाइफाइड के दौरान पेट की समस्याएं जैसे गैस, अपच और दस्त आम हो जाते हैं। मुनक्का का सेवन पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और आंतों को भी मजबूत करता है। इससे भोजन सही से पचता है और पेट हल्का महसूस होता है।
टाइफाइड के कारण शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। ऐसे में मुनक्का शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और थकान दूर करता है। ये शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाकर कमजोरी को कम करता है और रिकवरी को तेज करता है।
बुखार को कम करने में सहायक
मुनक्का का असर शरीर की गर्मी को कम करने में भी देखा गया है। ये शरीर को भीतर से ठंडक पहुंचाता है, जिससे तेज बुखार में आराम मिलता है। साथ ही जलन, बेचैनी और शरीर की गर्माहट जैसे लक्षण भी धीरे-धीरे कम होते हैं।
टाइफाइड के दौरान कई बार एनीमिया यानी खून की कमी की समस्या हो जाती है। मुनक्का में आयरन की मात्रा अधिक होती है, जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।