Google vs Indian App Developers: भारतीय ऐप डेवलपर्स को कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की तरफ से तगड़ा झटका लगा है। सीसीआई ने प्ले स्टोर बिलिंग पॉलिसी मामले में गूगल के खिलाफ अंतरिम राहत की उनकी याचिका 20 मार्च को खारिज कर दिया। इससे पहले 15 मार्च को सीसीआई ने जो ऑर्डर पास किया था, उसमें कहा गया था कि गूगल की यूजर च्वाइस बिलिंग (UCB) सिस्टम प्राइमा फेसी यानी पहली नजर में कॉम्पटीशन एक्ट, 2002 का उल्लंघन है। अब एक हफ्ते के भीतर ही सीसीआई ने भारतीय ऐप डेवलपर्स को फिलहाल कोई राहत देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा सीसीआई ने डायरेक्टर जनरल को एक जांच करने और इसकी रिपोर्ट 60 दिनों के भीतर दाखिल करने को कहा है। सीसीआई ने यह आदेश शादीडॉटकॉम और कुकुएफएम समेत कुछ भारतीय ऐप डेवलपर्स के एक ग्रुप की याचिका पर सुनाया है।
क्यों नहीं मिल पाई भारतीय ऐप डेवलपर्स को राहत
सीसीआई ने 20 मार्च को प्ले स्टोर बिलिंग पॉलिसी मामले में गूगल के खिलाफ भारतीय ऐप डेवलपर्स की याचिका खारिज कर दी है। सीसीआई के आदेश के मुताबिक ऐप मेकर्स यह नहीं समझा पा रहे कि कैसे इस मामले में उतना नुकसान हो जाएगा जो मौद्रिक मुआवजे के जरिए भी नहीं सही हो पाएगा। वहीं शादीडॉटकॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल का कहना है कि अगर अंतरिम राहत मिल गई होती तो इससे दिक्कतों से जूझ रहे स्टार्टअप को तत्काल राहत मिल गई होती। हालांकि आगे उन्होंने कहा कि अब उनकी निगाहें उस जांच पर है, जिसे 60 दिनों के भीतर पूरा करना है।
अक्टूबर 2022 में सीसीआई ने गूगल से ऐप डेवलपर्स को ऐप खरीदने या इन-ऐप बिलिंग के लिए किसी थर्ड पार्टी बिलिंग या पेमेंट प्रोसेसिंग सर्विसेज का इस्तेमाल करने को मंजूरी देने का निर्देश दिया था। इसे लेकर गूगल ने पिछले साल 2023 में यूजर च्वाइस बिलिंग सिस्टम पेश किया था। इससे ऐप डेवलपर्स को गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम के अलावा किसी और बिलिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई।
अब नए सिस्टम के तहत कोई यूजर गूगल के अलावा किसी और बिलिंग सिस्टम के तहत पेमेंट करता है तो इस पर भी सर्विस फीस चुकानी होगी लेकिन चार फीसदी की दर से कटौती की जाएगी। इसका मतलब हुआ कि डेवलपर्स को इन-ऐप खरीदारी और सब्सक्रिप्शन के लिए गूगल को 15-30 फीसदी की बजाय 11-26 फीसदी का सर्विस फी देना होगा। यह चार्ज कितना होगा, यह ऐप/सर्विस के प्रकार और गूगल प्ले पर इसे होने वाले रेवेन्यू पर निर्भर करता है।