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Uzbekistan Cough Syrup Case: कफ सिरप के चलते 18 बच्चों की मौत में बढ़ा जांच का दायरा, इसे बनाने वाली कंपनी की सभी दवाइयों की होगी टेस्टिंग

Uzbekistan Cough Syrup Case: उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के मामले में नोएडा की एक दवा कंपनी Marion Biotech का नाम सामने आया है। इसके कफ सिरप के सैंपल्स लेने के बाद अब दवाओं की जांच करने वाले अधिकारी इस कंपनी के बाकी दवाइयों की भी जांच करेगी जिनकी बिक्री स्थानीय तौर पर होती है

अपडेटेड Dec 29, 2022 पर 2:28 PM
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अथॉरिटीज ने Marion Biotech से इस पर जवाब मांगा है कि क्या उज्बेकिस्तान जो कफ सिरफ भेजी गई थी, वह भारत में भी बिकने के लिए भेजी गई है?

Uzbekistan Cough Syrup Case: उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के मामले में नोएडा की एक दवा कंपनी Marion Biotech का नाम सामने आया है। माना जा रहा है कि इसी कंपनी के कफ सिरप में गड़बड़ी के चलते बच्चों के साथ हादसा हुआ। इसके कफ सिरप के सैंपल्स लेने के बाद अब दवाओं की जांच करने वाले अधिकारी इस कंपनी के बाकी दवाइयों की भी जांच करेगी जिनकी बिक्री स्थानीय तौर पर होती है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) और उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मनीकंट्रोल ने इसकी जानकारी दी है। जानकारी के मुताबिक कंपनी के दवा बनाने के प्लांट पर इस बात की जांच चल रही है कि किसमें सॉल्वेंट के तौर पर एथिलीन ग्लाईकॉल का इस्तेमाल हो रहा है।

उज्बेकिस्तान का क्या है मामला

Marion Biotech के कफ सिरप की सप्लाई उज्बेकिस्तान में भी होती है। 28 दिसंबर को वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी किया कि इस कंपनी के Doc-1 Max सिरप से 21 बच्चों को सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो गई और इसमें से 18 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले को लेकर शुरुआती जांच में सामने आया है कि कफ सिर में एथिलीन ग्लाईकॉल के चलते यह हादसा हुआ। एथिलीन ग्लाईकॉल जहरीला होता है और 9 फीसदी सांद्रता वाले सॉल्यूशन का 1-2 मिली प्रति किग्रा मरीज के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

Exclusive: कफ सिरप में गड़बड़ी का मामला गरमाया, ड्रग रेगुलेटर ने Marion Biotech के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की जांच की 


भारत में क्यों हो रही है कार्रवाई

27 दिसंबर को भारतीय अथॉरिटीज ने उज्बेकिस्तान भेजे गए कफ सिरप के सैंपल कलेक्ट किए। अब इसकी बैच टेस्टिंग होगी। इसके अलावा भारत में इस जांच को और विस्तार किया गया है। भारतीय ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक पीडियाट्रिक कफ सिरप, पैरासीटामोल सस्पेंशन और कभी-भी एंटीबॉयोटिक्स सिरप में ग्लिसरीन या ग्लाइसरॉल का ऑर्गेनिक सॉल्वेंट्स के तौर पर इस्तेमाल होता है।

एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक ग्लिसरीन की तुलना में डाईएथिलीन ग्लाईकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाईकॉल सस्ता होता है जिसके चलते कुछ दवा कंपनियां इसे प्रयोग करती हैं।

अब उज्बेकिस्तान भेजी गई दवाइयों के अलावा भारत में बेची जाने वाली दवाइयों की भी जांच की जाएगी कि इसमें एथिलीन ग्लाईकॉल या डीईजी है या नहीं। इसमें यह जांच की जाएगी कि क्या गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) का उल्लंघन हुआ है। अथॉरिटीज ने Marion Biotech से इस पर जवाब मांगा है कि क्या उज्बेकिस्तान जो कफ सिरफ भेजी गई थी, वह भारत में भी बिकने के लिए भेजी गई है?

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