भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल के नौ महीनों में करीब 100 अरब डॉलर तक घट चुका है। हालांकि इसके बावजूद वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) का मानना है कि अमेरिका की सख्त मौद्रिक नीतियों और वैश्विक स्तर महंगाई दर बढ़ने के रिस्क से निपटने के लिए भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी के मुताबिक बाहरी दबावों से भारत की क्रेडिट को जो रिस्क है, वह सीमित ही है। फिच रेटिंग्स ने 19 अक्टूबर को ये बातें कहीं। फिच की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने हस्तक्षेप किया था जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई।
3.4% तक फिसल सकता है चालू खाते का घाटा
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारत में विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बने रहने की उम्मीद है। भारत के चालू खाते के घाटे (सीएडी) को एक उपयुक्त स्तर पर थामा जा सकेगा और चालू वित्त वर्ष में यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.4 फीसदी तक पहुंच जाएगा जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1.2 फीसदी था।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल के नौ महीनों में करीब 100 अरब डॉलर तक घट चुका है। हालांकि अब भी इसका आकार करीब 533 अरब डॉलर है। विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह बड़ी गिरावट बढ़ते सीएडी और डॉलर के मुकाबले रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप को दर्शाती है।
8-9 महीने के आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार अब भी 8-9 महीनों के आयात खर्च के लिए पर्याप्त है और भारत किसी भी बाहरी संकट का सामना करने में सक्षम है। फिच ने भारत को निवेश के लिहाज से सबसे निचले स्तर की रेटिंग 'बीबीबी-' दी हुई है। जून में इसने रेटिंग आउटलुक को 'नकारात्मक' से सुधारकर 'स्थिर' कर दिया था जो अभी तक बरकरार है।