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दुनिया में मंदी को लेकर 2007 जैसी चिंता दिख रही, कंपनियों के सेल्स डेटा भी दे रहे रिस्क बढ़ने के संकेत

ग्लोबल इकोनॉमी पर दबाव की सबसे बड़ी वजह इंटरेस्ट रेट्स में हो रही वृद्धि है। 1980 के दशक के बाद पहली बार इंटरेस्ट रेट में इतना इजाफा हुआ है

Curated By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Oct 03, 2022 पर 3:33 PM
दुनिया में मंदी को लेकर 2007 जैसी चिंता दिख रही, कंपनियों के सेल्स डेटा भी दे रहे रिस्क बढ़ने के संकेत
यूक्रेन पर रूस के हमले ने भी हालात को बिगाड़ने का काम किया है। इससे फाइनेंशियल मार्केट्स में भी डर का माहौल है।

ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) में तेज गिरावट के संकेत हैं। इसकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इनमें से कुछ मुश्किलें पॉलिसी (Monetary Policy) की वजह से आई से पैदा हुई हैं। इससे दुनिया में मंदी की आशंका बढ़ गई है। इससे फाइनेंशियल सिस्टम (Global Financial System) को भी खतरा पैदा हो सकता है।

अमेरिका के पूर्व वित्त मंत्री लॉरेंस समर्स ने ब्लूमबर्ग टेलीविजन को बताया है, "हमारे लिए रिस्क बहुत बढ़ गया है। लोग उसी तरह से चिंतित नजर आ रहे हैं, जैसा वे अगस्त 2007 में आ रहे थे। मेरा मानना है कि यह ऐसा वक्त है, जिसके लिए हमें चिंता करने की जरूरत है।"

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ग्लोबल इकोनॉमी पर दबाव की सबसे बड़ी वजह इंटरेस्ट रेट्स में हो रही वृद्धि है। 1980 के दशक के बाद पहली बार इंटरेस्ट रेट में इतना इजाफा हुआ है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक यह अनुमान लगाने में नाकाम रहे कि इनफ्लेशन कई दशकों की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। अब वे कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इंटरेस्ट रेट बढ़ा रहे हैं। दरअसल, उनकी अपनी साख भी दांव पर लगी है।

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