मार्च 2023 तक 5.75% का स्तर छू सकती है पॉलिसी रेट: Kotak AMC की लक्ष्मी अय्यर

ऐसा लगता है कि रेपो रेट में बढ़ोतरी का यह दौर जल्द नहीं थमेगा। हालांकि इस दौर के थमने के पहले इसमें कुछ ठहराव या नरमी देखने को मिल सकती है

अपडेटेड Aug 06, 2022 पर 9:58 AM
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लक्ष्मी अय्यर का कहना है कि बॉन्ड बाजार पर आरबीआई से नरमी की उम्मीद थी लेकिन कल हमें ऐसा होता नहीं दिखा

कोटक एएमसी (Kotak AMC) की लक्ष्मी अय्यर का कहना है कि शुक्रवार को RBI MPC ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करके इसको 5.40 फीसदी करने का निर्णय लिया है। यह बढ़त तत्काल प्रभाव से लागू होगी। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। मई 2022 में रेपो रेट में 0.40 फीसदी और उसके बाद जून में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी।

उन्होंने आगे कहा कि रेपो रेट में कल की गई बढ़ोतरी उम्मीद के मुताबिक ही रही है। इसके अलावा आरबीआई के रुख में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है और उसका फोकस बाजार में तरलता कम करने पर बना हुआ है। आरबीआई का रुख जून की पॉलिसी की तरह ही संतुलित रहा। आरबीआई का फोकस महंगाई और बाहरी जोखिम से निपटने पर रहा है।

लक्ष्मी अय्यर का कहना है कि बॉन्ड बाजार पर आरबीआई से नरमी की उम्मीद थी लेकिन कल हमें ऐसा होता नहीं दिखा। इसी तरह आरबीआई ने महंगाई अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया। आरबीआई का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसदी पर रहेगी। इसी तरह ग्रोथ के अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया गया औऱ वित्त वर्ष 2023 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।


गौरतलब है कि देश में खुदरा महंगाई कैलेंडर ईयर 2022 में अब तक आरबीआई के टॉलरेंस लिमिट से ज्यादा बनी हुई है, लेकिन अब इसमें कुछ नरमी आने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि आरबीआई आगे भी महंगाई पर सर्तक नजरिया बनाए रखेगा ।

लक्ष्मी अय्यर ने आगे कहा कि आरबीआई की पिछली पॉलिसी मीटिंग से अब तक ग्लोबल परिस्थितियों में तमाम बदलाव आ चुके हैं। दुनिया में मंदी की आहट सुनाई पड़ रही है लेकिन इस बीच कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई है। इसके साथ ही ग्लोबल फूड प्राइस में भी गिरावट हुई है। कल हुई बढ़ोतरी के साथ भारत में रेपो रेट कोविड-पूर्व के लेवल को पार कर गई है। जून में हुई पिछली पॉलिसी मीट में आरबीआई ने इस बात का संकेत दिया था कि रेपो रेट जल्द कोविड-पूर्व स्थिति में पहुंच सकता है। कल के आरबीआई के फैसले में हमें ऐसा ही होता दिखा।

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अब ऐसा लगता है कि रेपो रेट में बढ़ोतरी का यह दौर जल्द नहीं थमेगा। हालांकि इस दौर के थमने के पहले इसमें कुछ ठहराव या नरमी देखने को मिल सकती है। गौरतलब है कि जब जून 2019 में पॉलिसी रेट को घटाकर 5.75 फीसदी किया गया था तब से आरबीआई के रुख में नरमी आई थी। इसको देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है कि मार्च 2023 तक आरबीआई की पॉलिसी रेट इसी लेवल यानी 5.75 फीसदी पर पहुंच सकती है। वित्त वर्ष 2023 तक इसका 5.90 फीसदी तक पहुंचना भी मुश्किल नजर नहीं आ रहा है।

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