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Bonds की ओवरसप्लाई की वजह से 8% तक जा सकती है यील्ड: Stnadard Chartered

इंडिया में सरकारों की तरफ से इस फाइनेंशियल ईयर में 14.3 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की बिक्री हो सकती है। यह सरकार की तरफ से बॉन्ड की रिकॉर्ड बिक्री होगी

अपडेटेड Jun 22, 2022 पर 9:56 AM
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दुनियाभर में बॉन्ड की बिकवाली के बीच इंडिया में बॉन्ड में स्थिरता देखने को मिली।

बॉन्ड (Bond) की ज्यादा सप्लाई का असर उसकी कीमतों पर पड़ेगा। इससे इस साल के अंत तक 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड (Yield) बढ़कर 8 फीसदी के करीब पहुंच जाने के आसार हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड (Standard Chartered) ने यह अनुमान जताया है। बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध है। बॉन्ड की कीमत घटने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है। बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर यील्ड घट जाती है।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि केंद्र सरकार और राज्यों के बॉन्ड की ओवर सप्लाई इस फाइनेंशियल ईयर में 6.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड में इंडिया फाइनेंशियल मार्केट की हेड पारुल मित्तल सिन्हा ने कहा कि इसका असर बॉन्ड मार्केट पर पड़ेगा। पहले से ही मार्केट बढ़ते इंटरेस्ट रेट और घटती लिक्विडिटी की वजह से मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

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सिन्हा ने कहा, "मार्केट के लिए इतनी ज्यादा सप्लाई को अब्जॉर्ब करना मुश्किल हो सकता है।" सिन्हा को लंदन, सिंगापुर और मुंबई में करेंसी में ट्रेडिंग का एक दशक से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने कहा, "जुलाई से सप्लाई को लेकर चिंता शुरू हो जाएगी। उधर, इंटरेस्ट रेट में वृद्धि जारी रहेगी, जबकि सरप्लस लिक्विडिटी की स्थिति नहीं रह जाएगी। ये तीनों फैक्टर एक साथ मिलकर असर डाल सकते हैं।"

दुनियाभर में बॉन्ड की बिकवाली के बीच इंडिया में बॉन्ड में स्थिरता देखने को मिली। हाल की नीलामी में भी अच्छी मांग देखने को मिली। RBI ने सरकार के उधारी कार्यक्रम को योजना के अनुसार पूरा करने की इच्छा जताई है। फिर भी, माना जा रहा है कि जल्द हालात बदल सकते हैं। इसकी वजह यह है कि पिछले हफ्ते 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड 2019 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।

इंडिया में सरकारों की तरफ से इस फाइनेंशियल ईयर में 14.3 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की बिक्री हो सकती है। यह सरकार की तरफ से बॉन्ड की रिकॉर्ड बिक्री होगी। इसकी वजह यह है कि सरकार इकोनॉमिक ग्रोथ को तेज करने के लिए खर्च बढ़ाना चाहती है। उधर, टैक्स में कमी का असर रेवेन्यू पर पड़ा है।

उधर, RBI मई से अब तक लगातार दो बार इंटरेस्ट रेट बढ़ा चुका है। दो बार की वृद्धि के बाद यह 0.90 फीसदी बढ़ गया है। RBI तेजी से बढ़ते इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए लिक्विडिटी में भी कमी लाने के उपायर कर रहा है।

स्टैंडर्ड चार्डर्ड का अनुमान है कि इस फाइनेंशियल ईयर में बॉन्ड की जरूरत से ज्यादा सप्लाई 3.8-6.3 लाख करोड़ रुपये के बीच रह सकती है। इसका असर अभी से बॉन्ड की कीमतों पर दिखना शुरू हो गया है।

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