भारत के रेट सेटिंग पैनल ने शुक्रवार को आरबीआई के लेडिंग रेट यानी रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। जिसके चलते ये पॉलिसी रेट 2019 के स्तर पर पहुंच गई है। इस बढ़ोतरी के साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 5.4 फीसद पर पहुंच गई है।बता दें कि रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है जिसपर आरबीआई देश के कमर्शियल बैंकों को शॉर्ट टर्म लोन देता है। इस दर में बदलाव का असर बैंकिंग सेक्टर पर बड़ी तेजी से पड़ता है।
ब्याज दरों में यह बढ़ोतरी अनुमान के मुताबिक ही रही है। तमाम अर्थशास्त्रियों ने महंगाई के ऊंचे स्तर को देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया था कि आरबीआई अपने आज आने वाले फैसले में रेपो रेट में 0.25 फीसदी से 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।
गौरतलब है कि देश में इस समय महंगाई काफी उंचे स्तर पर बनी हुई है जिससे आम आदमी ज्यादा प्रभावित हो रहा है। जिसको देखते हुए आरबीआई का फोकस महंगाई को नियत्रंण में लाने पर है।
बताते चलें कि लगातार 2 तिमाहियों से देश में खुदरा महंगाई औसतन 6 फीसदी के ऊपर रही है। अगर महंगाई लगातार 3 तिमाहियों तक इस स्तर के ऊपर बनी रहती है तो MPC को अपनी असफलता पर सरकार के सामने सफाई देनी होगी।
गौरतलब है कि देश में रिटेल इनफ्लेशन काफी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है जबकि जून में ओवरऑल इनफ्लेशन मई के 7.04 फीसदी से बहुत मामूली गिरावट के साथ 7.01 फीसदी पर रही है और वर्तमान में यह अपने लगातार 33 महीने के 4 फीसदी के मीडियम टर्म टारगेट से ऊपर है। इसके साथ ही देश की महंगाई दर लगातार छठें महीने आरबीआई के 2-6 फीसदी के टॉरलेंस लिमिट के ऊपर बनी हुई है। महंगाई के इस ऊंचे स्तर को देखते हुए आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है।
इस मौके पर बोलते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा है कि सप्लाई चेन की स्थिति में सुधार को देखते हुए अब घरेलू खाद्य पदार्थो के दाम पर घटने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि FY23 में रिटेल महंगाई अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। वहीं FY23 की दूसरी तिमाही में रिटेल महंगाई अनुमान 7.1 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर रह सकती है। उन्होंने आगे कहा कि FY24 के Q1 में रिटेल महंगाई 5 फीसदी पर आ सकती है।