अगर आप जल्द महंगाई (Inflation) से राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको निराशा हो सकती है। कमोडिटी की कीमतों (Commodities Prices) में उछाल, इलेक्ट्रिक टैरिफ (Electricity Tariff) में वृद्धि, सप्लाई चेन में दिक्कत (Supply Chain Bottleneck) और महंगे कच्चे माल को महंगाई के लिए बड़े रिस्क के रूप में देखा जा रहा है। 8 जून को RBI ने कहा है कि अगले कुछ महीनों में महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद कम है।
RBI ने इस फाइनेंशियल ईयर में रिटेल इनफ्लेशन 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इसके लिए उसने क्रूड की औसत कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल और मानसून की बारिश सामान्य रहने का अनुमान लगाया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI ने क्रूड ऑयल प्राइस का जो अंदाजा लगाया है, वह व्यवहारिक नहीं है। इनवेस्टमेंट गोल्डमैन सैक्स और OPEC के कुछ सदस्य देश आने वाले महीनों में क्रूड की कीमतों में उछाल का अनुमान जता चुके हैं। जून के पहले 10 दिन में क्रूड ऑयल प्राइस करीब 118 डॉलर प्रति टन रहा है।
गोल्डमैन सैक्स ने जुलाई-सितंबर के दौरान ब्रेंट क्रूड का प्राइस 140 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान जताया है। UAE के एनर्जी मिनिस्टर सुहैल एल-मजरुई ने हाल में कहा था कि चीन से मांग बढ़ने पर ऑयल में तेजी आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा था कि OPEC और उसके सदस्य देश बढ़ी मांग को पूरी करने में असफल हो सकते हैं। अगर क्रूड ऑयल की कीमत में अनुमान के मुताबिक वृद्धि होती है तो RBI को क्रूड ऑयल प्राइस के अपने अनुमान में बदलाव करना पड़ सकता है।
क्रूड ऑयल के प्राइस में हर 10 डॉलर की वृद्धि से रिटेल इनफ्लेशन करीब 0.50 फीसदी बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को तभी राहत मिलेगी, जब सरकार पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाएगी। RBI राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर वैट में कमी करने की अपील कर चुका है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि इससे इनफ्लेशन पर दबाव घटाने में मदद मिलेगी।
उधर, सरकार ने कोल इंडिया से कोयले की कम सप्लाई की वजह से बिजली बनाने वाली कंपनियों को घरेलू कोयले में आयातित कोयले को मिलाकर इस्तेमाल करने को कहा है। ब्लेंडिंग प्रोसेस के लिए 15 जून की सीमा तय की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ गई। यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले कोयले की कीमत 140 डॉलर प्रति टन थी, जो अब बढ़कर 440 डॉलर प्रति टन हो गई है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा है कि आयातित कोयले के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ प्रति यूनिट 0.70-1 रुपये तक बढ़ जाएगा।
इंडिया खाने के तेल की अपनी 55-60 फीसदी जरूरत आयात से पूरा करता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से पहले से ही खाने के तेल की कीमतें तेज बनी हुई हैं। यूक्रेन क्राइसिस की वजह से सनफ्लावर ऑयल की उपलब्धता घटी है। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन और रूस सनफ्लावर ऑयल के मुख्य उत्पादक और निर्यातक हैं। हालांकि, हाल में पाम ऑयल के भाव 52 हफ्ते के सबसे ऊंचे स्तर से नीचे आए हैं। लेकिन, मजदूरों की कमी से मलेशिया में उत्पादन पर असर पड़ सकता है। यह पाम ऑयल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।