एलॉन मस्क के ट्विटर को खरीदने की पेशकश पर ट्विटर के बोर्ड ने सोमवार को हस्ताक्षर कर दिया। ट्विटर 2013 में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई थी। मस्क के साथ डील पूरी होने के बाद यह फिर से प्राइवेट कंपनी बन जाएगी। हालांकि, इस डील के लिए ट्विटर के शेयरहोल्डर्स और रेगुलेटर का एप्रूवल जरूरी है।
ट्विटर को लेकर मस्क का क्या प्लान है, यह भी पता नहीं है। लेकिन यह साफ है कि इस डील का असर इंडिया में ट्विटर के ऑपरेशन पर पडे़गा। मनीकंट्रोल ने इस डील के असर खासकर इंडिया के लिए इसके मायने के बारे में जानने के लिए एक्सपर्ट्स से बातचीत की।
इंडिया सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बहुत अहम है। ट्विटर के लिए भी इंडिया बहुत महत्वपूर्ण मार्केट है। इंडिया में ट्विटर के 2.36 करोड़ यूजर्स हैं। यह डेटा इस साल जनवरी का है। सिर्फ अमेरिका और जापान में ट्विटर के इंडिया से ज्यादा यूजर्स हैं। फ्यूचर में इंडिया में ट्विटर के यूजर्स के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) नील शाह ने कहा कि इंडिया सभी इंटरनेट कंपनियों के लिए बड़ा मार्केट है। यह न सिर्फ एडवर्टाइजिंग के मामले में भी बल्कि दूसरे मानकों पर भी है। हालांकि, मस्क के ट्विटर को खरीद लेने के बाद यह अंदाजा लगाना मुश्किल हैं इंडिया को लेकर ट्विटर के एप्रोच में क्या बदलाव आएगा।
उन्होंने कहा, "पराग अग्रवाल बतौर सीईओ जानते थे कि ट्विटर के रोडमैप में इंडिया की क्या जगह होगी। लेकिन मस्क का विजन उनसे अलग हो सकता है।" मस्क पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें ट्विटर के मैनेजमेंट पर भरोसा नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि मस्क ट्विटर की लीडरशिप में बदलाव कर सकते हैं।
हालांकि, अभी यह अंदाजा लगाना मुश्किल हैं कि मस्क ट्विटर के कामकाज को कितन समय देंगे। इसकी वजह यह है कि वह टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ हैं। इसके अलावा न्यूरालिंक और द बोरिंग कंपनी के लिए भी उन्हें समय निकालना पड़ता है।
इधर, इंडियन गवर्नमेंट के साथ ट्विटर के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। कई मसलों पर उनके बीच मतभेद है। मस्क के रिश्ते भी इंडियन गवर्नमेंट के साथ खास नहीं हैं। टेस्ला इंडिया में अपनी कारें बेचने के लिए ड्यूटी में जितनी रियायत चाहती है, उतनी भारत सरकार देने को तैयार नहीं है।
इस साल जनवरी में मस्क ने कहा था कि टेस्ला कई तरह के चैलेंजेज के बावजूद इंडिया में अपनी कार लॉन्च करने की कोशिश कर रही है। उधार स्टारलिंक को नवंबर 2021 में बगैर लाइसेंस इंडिया में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए प्री-ऑर्डर स्वीकार करने से रोक दिया गया था। स्टारलिंक मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की हिस्सा है।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस ने कंपनी को सभी प्री-आर्डर्स रिफंड करने का आदेश दिया था। स्टारलिंक के इंडिया हेड संजय भार्गव को जनवरी में इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा।