प्यार और पैसों के लिए: जानिए उस महाठग की पूरी कहानी, जो जेल के अंदर से चलाता था अपना कारोबार

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि सुकेश चंद्रशेखर ने ठगी की दुनिया के दिग्गज चार्ल्स शोभराज को भी पीछे छोड़ दिया है

अपडेटेड Sep 03, 2022 पर 10:16 PM
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सुकेश चंद्रशेखर ने किशोरावस्था से ही लोगों को ठगना शुरू कर दिया था

ठग सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) को दाढ़ी रखना और महंगे सूट पहनना पसंद है। उसके पास एक खास क्वालिटी है, जिसके जरिए वह अंगोला में खाली पड़े हीरे के खादान से लेकर हवा में स्थित महल तक, कुछ भी बेच सकता है। साथ ही वह कहीं से भी काम कर सकता है। फिर चाहे वह मुंबई में एक बड़ा सा ऑफिस हो, किसी होटल का आलीशान कमरा हो या फिर अतिसुरक्षा वाली जेल क्यों ही न हो।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि चंद्रशेखर ने ठगी की दुनिया के दिग्गज चार्ल्स शोभराज को भी पीछे छोड़ दिया है। सुकेश के कामों में मुख्य सहयोगी उसकी पत्नी लीना मारिया पॉल है, जो फिल्मों एक छोटी-मोटी हीरोइन रही हैं। फिलहाल दोनों पति-पत्नी मंडोली जेल में बंद है। उन्हें अतिसुरक्षा वाली तिहाड़ जेल से यहां लाया गया है, जहां से अब तक सुकेश अपने कारनामे ऑपरेट कर रहा था।

तिहाड़ जेल में खाली करवा दी थी पूरी बैरक

ED का कहना है कि चंद्रशेखर ने जेल के शीर्ष अधिकारियों को पैसे खिलाकर पूरे सिस्टम को धोखा दिया। वह अपना ठगी का बिजनेस चलाने के लिए जेल से ही वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता था। उसने जेल अधिकारियों से अपने इस्तेमाल के लिए एक पूरी बैरक को खाली करवाया और दूसरे कैदियों से अपने कपड़े धुलवाता था।


सुकेश और उसकी पत्नी को दूसरी जेल में भेजने के बाद ED तिहाड़ जेल में उसकी मदद करने वाले 11 से अधिक अधिकारियों की जांच कर रही है।

हालांकि सुकेश के वकील आर बसंत का कहना है कि उनका मुवक्किल एक निर्दोष बिजनेसमैन है, जिसे देश की खुफिया एजेंसियों ने फंसाया है। बसंत ने मनीकंट्रोल को बताया, "तिहाड़ में उसे धमकाया गया था, इसलिए जज ने उसे मंडोली ट्रांसफर कर दिया।"

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मंडोली जेल में भी कैदियों को दिखा रहा सपने

ईडी के अधिकारियों ने बताया कि मंडोली में, चंद्रशेखर और उसकी पत्नी चुपचाप और शांत रहना पसंद कर रहे हैं। हालांकि वे धीरे-धीरे हरकत में आ रहे हैं।

चंद्रशेखर कैदियों को देश के तमाम जजों के साथ अपने रिश्ते का संकेत दे रहा है और उनसे बड़े-बड़े वादे कर रहा है। साथ ही वह जेल के बाहर के कई राजनेताओं और कॉरपोरेट हस्तियों से भी अपना रिश्ता बता रहा हैं, जो इस समय मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

ईडी के एक सूत्र ने बताया, "वह दिल्ली के कुछ शीर्ष लॉबिस्टों के करीबी हैं, जो अपने ग्राहकों के मामलों को सुलझाने के लिए उनसे मदद मांग रहे हैं।"

ईडी का दावा है कि चंद्रशेखर सीधे बड़े और मशहूर लोगों तक नहीं पहुंचता हैं। बल्कि वह लॉबिस्टों या पैरवी करने वालों का इस्तेमाल करता है, उनसे असंभव चीज को संभव बनाने का वादा करता है।

17 साल की उम्र से शुरू कर दी ठगी

बेंगलुरु के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ने वाला चंद्रशेखर ने तब से अब तक काफी लंबा सफर तय किया है। उसे स्कूल में कालिया कहा जाता था, जो 1981 की अमिताभ बच्चन की ब्लॉकबस्टर फिल्म का नाम है।

वह अपने माता-पिता के साथ भवानी नगर के एक गैरेज में रहता था। उसके पिता, विजयन चंद्रशेखर ने स्कूल खत्म होने के बाद उससे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

उसने किशोरावस्था से ही लोगों को ठगना शुरू कर दिया था। 17 साल की उम्र में, उसने खुद बेंगलुरु डिवलेपमेंट अथॉरिटी (BDA) का एक अधिकारी बताकर पेश किया और जमीन आवंटित करने और वर्क परमिट के बहाने कई लोगों को धोखा दिया। चंद्रशेखर ने कुछ अच्छे पैसे बनाए।

2007 में पहली बार हुआ अरेस्ट

हालांकि 2007 में किस्मत ने उसका साथ छोड़ दिया। ठगी के शिकार एक व्यक्ति ने पुलिस में FIR दर्ज करते हुए आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने उसे एक जमीन का प्लॉट दिलाने का वादा किया था और उसे 1.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वह कुछ ही हफ्तों में बाहर आ गया।

बेंगलुरु पुलिस ने बताया कि एक बार उसने खुद को कर्नाटक के एक शीर्ष मंत्री करुणाकर रेड्डी के बेटे के रूप में पेश किया था। उसने महंगी कारों का फर्स्ट और सेकेंड-हैंड बिक्री शुरू कर दी। वह हमेशा एडवांस में पैसे लेता था, लेकिन न तो कारों की डिलीवरी करता था और न ही पैसे वापस करता था। अगले 5 साल से भी कम समय में, चंद्रशेखर के कारनामे न केवल बेंगलुरु में बल्कि पड़ोसी तमिलनाडु और केरल में भी बढ़ गए था।

जमीनों और लग्जरी कारों को बेचने के अलावा, उसने 'महंगे और इम्पोर्टेड' म्यूजिक सिस्टम भी बेचे। वास्तव में, ये नकली थे जिन्हें बांग्लादेश के स्लम में बनाया जाता था और फिर बंगाल से सीमा पार कर तस्करी के जरिए लाया जाता था।

कई बार उसके खिलाफ FIR दर्ज हुए, लेकिन जब तक पुलिस उसके पीछे पड़ती, तब तक वह वहां से गायब हो चुके होता था। कुछ मामले अदालतों में गए, लेकिन चंद्रशेखर जानता थे कि उसे इससे कैसे निपटना है। उसे बार-बार जमानत मिलती रही और सुनवाई के दौरान पेश होने के लिए वह बार-बार तब तक अगली तारीखों की मांग करता था, जब तक की शिकायत करने वाला का मुकदमा लड़ने में दिलचस्पी खत्म न हो जाए।

2014 में केनरा बैंक से 19 करोड़ ठगे

हालांकि वह कानून की गिरफ्त में आ ही गया, जब मार्च 2014 में उसने अपने सबसे बड़े फ्रॉड में से एक अंजाम दिया। चंद्रशेखर ने कर्नाटक सरकार ने खुद को कर्नाट के शीर्ष आईएएस अधिकारी जय कुमार के रूप में पेश कर केनरा बैंक को 19 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। बैंक अधिकारियों ने पुलिस को सूचना दी और FIR दर्ज की गई। मामला CBI को ट्रांसफर किया गया और 2015 में आरोप चार्जशीट दाखिल की गई।

लेकिन चंद्रशेखर फिर भी नहीं रुका। उसने उसी साल खुद को कर्नाटक प्रोजेक्ट डिवेलपमेंट का एक कर्मचारी के रूप में पेश कर बेंगलुरु मुख्यालय वाली प्राइमो कंपनी के प्रमोटरों से 1.5 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगी का अहसास होने पर कंपनी ने FIR दर्ज की

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चुनाव आयोग के अधिकारियों को घूस देने का लगा आरोपा

मामला फंसता देख चंद्रशेखर चेन्नई चला गया और समुद्र किनारे एक आलीशान बंगले से काम करने लगा। वह महंगी कारों में घूमता था, लेकिन चुनाव आयोग (EC) के अधिकारियों को रिश्वत देने की सूचना मिलने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उसने दावा किया कि वह स्थानीय राजनेता टीटीवी दिनाकरन के इशारे पर काम कर रहा था। दिनाकरन उस वक्त अपनी बुआ और और जयललिता की सहयोगी वी शशिकला के अगुआई वाले गुट को अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) के चुनावी चिन्ह दिलाने में लगे थे।

बाद में चंद्रसेख पोंजी स्कीम चलाने वाले के साथ काम करने मुंहई चला गया। वहां भी उसने कई बड़ी ठगी की। उदाहरण के लिए उसने खुद को केंद्रीय कानून मंत्रालय के एक अधिकारी के रूप में पेश किया और कारोबारी नवीनचंद्र हेज के खिलाफ कार्यवाही को रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के एक रिसीवर को डराने-धमकाने की कोशिश की। नवीनचंद्र हेज, ऑक्टेमेक इंजीनियरिंग के एमडी थे और उनपर इंडियन बैंक से करीब 209 करोड़ रुपये के फ्रॉड का आरोप थे।

हॉलीवुड सुपरस्टार लियोनार्डो डिकैप्रियो को बताता था दोस्त

बाद में चंद्रशेखर का ध्यान बॉलीवुड ने खींचा और उसने जल्द की कई फिल्म एक्टर और एक्ट्रेस के एजेंटों को अपने जाल में फंसाना शुरू किया। चंद्रशेखर जब जैकलीन फर्नांडीज से मिला, तो अपना नाम शेखर रत्न वेला बताया और कहा कि वह हॉलीवुड की एक फिल्म के लिए भारतीय चेहरों की तलाश में है। उसने यह भी बताया कि वह तमिल मनोरंजन चैनल सनटीवी का मालिक है और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री (सीएम) जे जयललिता का भतीजा है।

चंद्रशेखर ने कथित तौर पर जैकलीन को 9 लाख रुपये की एक फारसी बिल्ली, 52 लाख रुपये का घोड़ा और कई हीरों के गहने गिफ्ट किए थे। उसने जैकलीन के लिए कई चार्टेड प्लेन की अरेंज किए थे और कहा था कि वह लियोनार्डो डिकैप्रियो का दोस्त है, जिनसे उसकी मुलाकात ब्लड डायमंड की शूटिंग के दौरान हुई थी। ईडी का कहना है कि चंद्रशेखर ने फर्नांडीज को डिकैप्रियो के विपरीत भूमिका निभाने का वादा किया था।

अभिनेत्री के साथ अपने संबंधों के बारे में पूछे जाने पर चंद्रशेखर ने कहा कि वह प्यार में था। वहीं फर्नांडीज ने ईडी को बताया कि वह नहीं जानती थी कि चंद्रशेखर एक ठग था क्योंकि जब उसने तिहाड़ से वीडियो कॉल की, तो बैकग्राउंड से ऐस लग रहा था कि वह किसी शानदार ऑफिस में बैठा है।

रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर सिंह बंधुओं ने कथित तौर पर चंद्रशेखर को जमानत के लिए करीब 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया। शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति सिंह ने अपना खोया हुआ पैसा वापस पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चंद्रशेखर और उनकी पत्नी के खिलाफ फिलहाल 32 से ज्यादा मामले हैं। हालांकि फिर भी वे यह कहते रहते हैं कि वे निर्दोष हैं।

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