इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) के ग्रोथ अनुमान को 0.80 फीसदी घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है। इसके साथ ही उसने वित्त वर्ष 2024 के ग्रोथ अनुमान में भी 0.80 फीसदी को घटाया है और इसे पहले के 6.9 प्रतिशत के मुकाबले 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
IMF ने 26 जुलाई को जारी अपनी हालिया वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा, "भारत के लिए, GDP ग्रोथ में बदलाव मुख्य रूप से कम अनुकूल बाहरी परिस्थितियों और अधिक तेजी से नीतिगत सख्ती को दिखाता है।"
फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के हमले ने दुनिया भर में कई अहम वस्तुओं की सप्लाई को बाधित कर दिया, जिससे ग्लोबल स्तर पर कीमतें बढ़ गईं। इसके चलते विकसित दुनिया के कई देशों में महंगाई कई देशों के अपने ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। महंगाई को रोकने के लिए उन देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीतियों को सख्त करना शुरू कर दिया है।
इसने भारतीय रुपये पर काफी दबाव पड़ा है, जो हाल के हफ्तों में कई रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। पिछले हफ्ते पहली बार रुपये की वैल्यू एक डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर को पार कर गई थी।
इन सब वजहों और देश में महंगाई के ऊंचे स्तर पर बने रहने के चलते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वित्त वर्ष 2023 में अभी तक RBI ने अपने प्रमुख नीतिगत दर- रेपो रेट में 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है और यह अब 4.9 फीसदी हो गया है। RBI ने आगे आने वाले महीनों में इसमें बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं।
IMF ने भारत के अलावा चीन और अमेरिका के जीडीपी ग्रोथ में भी कटौती की है। इसके चलते IMF के साल 2022 के लिए ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान भी 0.40 फीसदी घटकर 3.2 फीसदी पर आ गया है। वहीं साल 2023 के लिए उसने ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान को 0.70 फीसदी घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया है।