आईटी सेक्टर में हायरिंग धीरे-धीरे अपने ट्रैक पर वापस आ रही है। हालांकि अभी भी कोविड महामारी के बाद की डिमांड के करीब नहीं है लेकिन हायरिंग में 10 फीसदी से अधिक की ग्रोथ दिख रही है। ये बातें नौकरीडॉटकॉम की पैरेंट कंपनी इंफो ऐज (Info Edge) के एमडी हितेश ओबेरॉय ने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में कही। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ आईटी ही नहीं, बल्कि बाकी सेक्टर में भी हायरिंग की ग्रोथ अच्छी दिख रही है। दिसंबर की नौकरी जॉबस्पीक (Naukri JobSpeak) के मुताबिक एआई से जुड़ी नौकरियों में सालाना आधार पर 36 फीसदी की तेजी दिखी जबकि 16 में से तीन ही सेक्टर ऐसे रहे, जिनमें गिरावट आई। टोटल जॉब इंडेक्स सालाना और मासिक, दोनों आधार पर दिसंबर में 9 फीसदी बढ़ा। हालांकि हायरिंग का माहौल बेहतर बना रहे, इसके लिए उन्होंने कम से कम 6 फीसदी की रफ्तार से इकॉनमी को बढ़ने की जरूरत बताई।
सबसे अधिक मांग एआई प्रोफेशनल्स की
हितेश के मुताबिक सबसे अधिक मांग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के हाई क्वालिटी वाले पेशेवरों की है, जिन्होंने अच्छे अच्छे संस्थानों से पढ़ाई की है। इन्हें आम आईटी प्रोफेशनल्स के मुकाबले अधिक सैलरी भी मिल रही है। इन्हें शुरुआत में ही 8-10 लाख रुपये की सैलरी ऑफर हो रही है। खुद इंफो ऐज ने अपने यहां एआई हायरिंग बढ़ाई है। कंपनी जल्द ही एआई से जुड़े प्रोडक्ट लॉन्च करेगी ताकि कंपनी का रेवेन्यू बढ़ाया जा सके।
इकनॉमी की कम से कम 6% की रफ्तार है जरूरी
हितेश के मुताबिक गल्फ कंपनियां भारत से बड़ी संख्या में हायरिंग कर रही है। इसके अलावा बड़ी टेक कंपनियां और स्टार्टअप्स भी हायरिंग कर रही हैं। हितेश ने बताया कि इंफो ऐज के बिलिंग की ग्रोथ सितंबर तिमाही से ही दोहरे अंकों में पहुंच गई थी जिससे हायरिंग ग्रोथ का संकेत मिला। आईटी सेक्टर में हायरिंग ग्रोथ ट्रैक पर आ गया है, अब हितेश चाहते हैं कि नॉन-आईटी हायरिंग और भी बेहतर हो। उनका मानना है कि हर स्तर पर एंट्री लेवल पर हायरिंग के लिए माहौल बेहतर हो रहा है और अब बस देखना ये है कि यह चीजें ट्रैक पर कब आती हैं।
नॉन-आईटी सेगमेंट को लेकर हितेश का कहना है कि एंट्री-लेवल टैलेंट की डिमांड छोटे शहरों और दक्षिण भारत के गैर-मेट्रो शहरों में बढ़ रही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हायरिंग में सुधार जारी रहे, इसके लिए जरूरी है कि इकॉनमी सालाना कम से कम 6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ती रहे। उन्होंने पहले का उदाहरण देते हुए कहा कि जब देश की इकनॉमी 6-7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ती है और यह 2-3 साल तक बनी रहती है तो बहुत जल्द टैलेंट की कमी होने लगती है।