Kisan Garjana Rally: इन मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटे हजारों किसान, बोले- 'मांगें पूरी नहीं हुईं तो..'.
Kisan Garjana Rally: प्रदर्शनकारी किसानों ने मांगें नहीं मांगे जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। भारतीय किसान संघ द्वारा जारी एक नोट में कहा गया है कि अगर सरकार ने समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ेगा। देश भर से किसान बसों, ट्रैक्टरों और मोटरसाइकिलों से रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं
Kisan Garjana Rally: दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में किसान जुटे हुए हैं
Kisan Garjana Rally in Delhi: केंद्र सरकार से विभिन्न राहत उपायों की मांग को लेकर 'किसान गर्जना रैली (Kisan Garjana Rally)' के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान (Ramleela Ground) में हजारों की संख्या में किसान जुटे हुए हैं। हजारों किसानों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) के बैनर तले सोमवार को रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली की और कृषि उत्पादों पर से GST वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसानों ने मांगें नहीं मांगे जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। भारतीय किसान संघ द्वारा जारी एक नोट में कहा गया है, “अगर सरकार ने समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ेगा”।
किसानों की मांग
नोट में आगे कहा गया है कि देश भर से किसान बसों, ट्रैक्टरों और मोटरसाइकिलों से रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं। लागत के आधार पर अपनी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य की मांग कर रहे हैं। किसानों ने सभी प्रकार की कृषि गतिविधियों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को वापस लेने और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति देने का भी आह्वान किया है।
साथ प्रदर्शनकारी ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता को बढ़ाने के लिए भी केंद्र पर दबाव दे रहे हैं। दिसंबर 2018 में शुरू की गई योजना के तहत सभी जोत भूमि वाले किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। आयोजकों के मुताबिक, रैली में करीब 50,000 से 60,000 लोगों के भाग लेने का अनुमान है।
सरकार को दी चेतावनी
पीटीआई से आयोजकों ने कहा कि राहत उपायों की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ (BKS) द्वारा रामलीला मैदान में आयोजित ‘किसान गर्जना’ रैली में भाग लेने के लिए पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड के बावजूद ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और निजी बसों से दिल्ली पहुंचे।
दिसंबर 2018 में शुरू की गई प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत सभी जोत भूमि वाले किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। बीकेएस के राष्ट्रीय महासचिव मोहिनी मोहन ने कहा कि किसानों के अधिकारों को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे खोखले साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। किसान भिखारी नहीं हैं, उन्हें अपनी फसल के लिए लाभकारी मूल्य पाने का अधिकार है। मोहन ने कहा कि अगर सरकार समय पर नहीं जागी तो दुनिया का सबसे बड़ा किसान संगठन और मुखर होगा।
GST हटाने की मांग
मध्य प्रदेश के इंदौर से आए नरेंद्र पाटीदार ने कहा कि खेती से जुड़ी मशीनरी और कीटनाशकों पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ती लागत और महंगाई के बीच, हमें कोई लाभ नहीं होता हैं। सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। डेयरी उद्योग पर भी GST नहीं लगाया जाना चाहिए। मौजूदा स्थिति में कोई 6,000 रुपये या 12,000 रुपये में परिवार कैसे चला सकता है?
मध्य प्रदेश के एक अन्य किसान दिलीप कुमार ने कहा कि कृषि मशीनरी, कीटनाशकों और उर्वरकों पर से GST हटाया जाना चाहिए। उन्होंने ‘डेयरी फार्मिंग’ पर भी पांच प्रतिशत कर लगाया है। किसान सम्मान निधि के तहत 6,000 रुपये और कुछ नहीं, बल्कि किसानों का अपमान है। यह कम से कम 15,000 रुपये होना चाहिए। वहीं, महाराष्ट्र के रायगढ़ के प्रमोद ने सरकार पर किसानों पर जीएसटी थोपने और कंपनियों को सब्सिडी देने का आरोप लगाया।
अन्य मांगें
इस बीच, पंजाब के फिरोजपुर के सुरेंद्र सिंह ने दावा किया कि सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत पिछली दो किस्त नहीं दी। उन्होंने कहा कि किसान भी कुशल मजदूर हैं, कम से कम हमें इतना सम्मान दिया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि जीएम बीज लोगों और आने वाली पीढ़ियों के लिए हानिकारक है। किसान तब तक उनका उपयोग नहीं करेंगे, जब तक कि सरकार उन्हें विश्वसनीय अनुसंधान डेटा प्रदान नहीं करती।
नागपुर से रैली में शामिल होने दिल्ली आए अजय बोंद्रे ने कहा कि जब तक हमें अनुसंधान विवरण प्रदान नहीं किया जाता है, जब तक कि हमें कोई प्रमाण नहीं मिल जाता है कि यह विश्वसनीय हैय़ हम जीएम बीजों का उपयोग करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। किसान बहुत लंबे समय से जीएम फसलों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार हम पर ध्यान नहीं देती है।
पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की कंचन रॉय ने कहा कि कई लोगों ने खेती छोड़ दी है, क्योंकि वे लागत वहन नहीं कर सकते। इसके अलावा गुजरात के अरावली के किशोर पटेल ने कहा कि कुछ मांगें मान ली गई हैं, लेकिन राज्य चुनावों से पहले आश्वासन के बावजूद प्राथमिक मांगों पर विचार नहीं किया गया है।
BKS ने कहा कि उसने दिल्ली आने से पहले चार महीने तक देश भर के 560 जिलों के 60,000 से अधिक गांवों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया। उसने कहा कि अकेले तेलंगाना और मध्य प्रदेश में लगभग 20,000 पदयात्राएं, 13,000 साइकिल यात्राएं और 18,000 बैठकें आयोजित की गईं।