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Maharashtra News: महाराष्ट्र के सरकारी और अर्ध सरकारी दफ्तरों में मराठी बोलना जरूरी, राज्य सरकार ने किया ऐलान

Marathi Language: महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी और अर्ध-सरकारी दफ्तरों में मराठी में बात करना जरूरी कर दिया है। इस मामले में सरकार ने सर्कुलर भी जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि सरकारी निगमों और सरकारी सहायता प्राप्त प्रतिष्ठानों में मराठी बोलना जरूरी है। चेतावनी दी गई है कि मराठी नहीं बोलने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 04, 2025 पर 8:51 AM
Maharashtra News: महाराष्ट्र के सरकारी और अर्ध सरकारी दफ्तरों में मराठी बोलना जरूरी, राज्य सरकार ने किया ऐलान
Marathi Language: महाराष्ट्र के दफ्तरों में अब सिर्फ मराठी में बात होगी

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सरकारी और अर्ध-सरकारी दफ्तरों में सभी अधिकारियों के लिए सिर्फ मराठी में बात करना जरूरी कर दिया गया है। इस मामले में एक सर्कुलर (Government Resolution - GR) भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि स्थानीय स्वशासन, सरकारी निगमों और सरकारी सहायता प्राप्त प्रतिष्ठानों में मराठी बोलना जरूरी है। GR में चेतावनी दी गई है कि मराठी में बात नहीं करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत के बाहर और गैर-मराठी भाषी राज्यों से आने वाले विजिटर्स को छोड़कर, सभी अधिकारियों को विजिटर्स के साथ बातचीत करते वक्त मराठी भाषा का उपयोग करना चाहिए।

पिछले साल स्वीकृत मराठी भाषा नीति में भाषा के संरक्षण, संवर्धन, प्रसार और विकास के लिए उठाए गए कदमों को आगे बढ़ाने के लिए सभी सार्वजनिक मामलों में मराठी के उपयोग की सिफारिश की गई थी। इसमें कहा गया है कि सभी दफ्तरों में पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) कीबोर्ड पर रोमन वर्णमाला के अलावा मराठी देवनागरी वर्णमाला भी होना चाहिए।

सूचना पट्टी मराठी में होना जरूरी

जीआर में यह भी कहा गया है कि मराठी में सूचना पट्टी लगाना भी जरूरी होगा। सरकारी खरीद और अनुदान योजना के तहत खरीदे जाने वाले सभी कंप्यूटरों के कीबोर्ड मराठी के साथ-साथ रोमन लिपि में भी होना चाहिए। स्टेट प्लानिंग डिपार्टमेंट ने इस संबंध में जी आर जारी किया है। सरकारी सर्कुलर के मुताबिक, मराठी भाषा में बातचीत नहीं करने वाले सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के बारे में शिकायत भी का जा सकती है। दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई का जाएगी। अगर शिकायतकर्ता इस कार्रवाई से खुश नहीं है तो विधानसभा की मराठी भाषा समिति में अपील की जा सकती है। सर्कुलर में आगे कहा गया है कि जो नए कारोबारी होंगे उन्हें मराठी में नाम रजिस्टर कराना जरूरी होगा। इस पॉलिसी का मकदस राज्य के प्रशासन और पब्लिक लाइफ में मराठी भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।

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