भारत में 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांछित हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) कानूनी लड़ाई में जीत गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एंटीगुआ और बारबुडा (Antigua and Barbuda) के उच्च न्यायालय ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया। चोकसी द्वीप पर रहने की अनुमति दी है। वहां हटाए से नहीं जाने का आदेश दिया है। अदालत ने अंतर-पक्षीय सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के फैसले के बिना मेहुल चोकसी को द्वीप के क्षेत्र से हटाने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि यह चोकसी के अपील सहित सभी उपलब्ध कानूनी उपायों के समाप्त होने तक जारी रहेगा।
पिछले महीने ल्योन-मुख्यालय एजेंसी (Lyon-headquartered agency) को दी गई उसकी याचिका के आधार पर रेड नोटिस के इंटरपोल डेटाबेस से उसका नाम हटा दिया गया था।
इंटरपोल ने 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। लगभग 10 महीने बाद वह उस साल जनवरी में भारत से भागकर एंटीगुआ और बारबुडा में शरण लेने के लिए आया था। यहां उसने नागरिकता ले ली थी।
सूत्रों ने बताया कि चोकसी ने अपने खिलाफ रेड नोटिस जारी करने की सीबीआई (CBI) की अर्जी को चुनौती दी थी। इस मामले को राजनीतिक साजिश का नतीजा बताया था। अपनी चुनौती में चोकसी ने भारत में जेल की स्थिति उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे।
एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया था कि चोकसी ने 7,080.86 करोड़ रुपये की ठगी की। जिससे यह 13,000 करोड़ रुपये से अधिक का देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला बन गया। नीरव मोदी (Nirav Modi) ने कथित तौर पर 6,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की थी। चोकसी की कंपनियों को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त लोन डिफॉल्ट भी सीबीआई के तहत जांच का विषय है।
चोकसी मई 2021 में एंटीगुआ और बारबुडा में अपने निवास से गायब हो गया था। वह रहस्यमय तरीके से पड़ोसी डोमिनिका (Dominica) में दिखाई दिया जहां उसे अवैध प्रवेश के लिए हिरासत में लिया गया था।