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ओपिनियन ट्रेडिंग या डिजिटल सट्टा! हां-ना में जवाब मांग कर कमाई का लालच, करोड़ों में खेल रहे हैं ऐप

Digital Gambling : ओपिनियन ट्रेडिंग के इन ऐप्स में शुरुआत में कुछ बोनस कैश दिया जाता है लेकिन बाद में यही पैसे लगाकर पैसे कमाने के लालच में बदल जाता है। अधिकतर मामलों में यूजर्स पैसा गंवाते हैं और फायदा प्लेटफॉर्म का ही होता है

अपडेटेड Dec 20, 2024 पर 9:56 PM
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Opinion trading : एक ऐप बिग कैश का कहना है कि वो खुद को एक स्किल बेस्ड रियल टाइम ऐप मानता हैं। लेकिन सवाल हैं, सिर्फ तुक्का या अंदाजा लगाने में कौन सा स्किल है

Opinion trading : ओपिनियन ट्रेडिंग,क्या आपको इसके बारे में पता है। नहीं है तो हम आज आपको बताते हैं। इस वक्त देश में कई तरह के गेमिंग ऐप चल रहे हैं। बहुत से ऐप इसमें आपको कमाई का मौक भी देते हैं। लेकिन अब ओपिनियन ट्रेडिंग वाले ऐप बस आप से हां या ना में जवाब मांग कर करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं। आइए हम बताते हैं कि कैसे ये ऐप काम करते हैं और इनका कानूनी स्टेटस क्या है।

सोचिए अगर आपको बताया जाए कि सिर्फ 'हां' या 'नहीं' कहने से आप लाखों कमा सकते हैं, चुनाव के रिजल्ट पर राय रखनी हो या मौसम के हाल पर, ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स आपको विश्वास दिला रहे हैं कि आप इससे पैसा कमा सकते हैं। इनसे कमाई हो भी रही है लेकिन ऐसी कमाई के साथ रिस्क भी बड़ा है।

ओपिनियन ट्रेडिंग के इन ऐप्स में शुरुआत में कुछ बोनस कैश दिया जाता है लेकिन बाद में यही पैसे लगाकर पैसे कमाने के लालच में बदल जाता है। अधिकतर मामलों में यूजर्स पैसा गंवाते हैं और फायदा प्लेटफॉर्म का ही होता है। प्लेटफॉर्म पर पैसा लगाने वाले सवाल भी ऐसे होते हैं जिनका जवाब सिर्फ तुक्के से ही दिया जा सकता है। जैसे शाम 6 बजे जयपुर एयरपोर्ट पर तापमान कितना होगा या इतने ओवर तक कोई प्लेयर कितने रन बनाएगा।


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ओपनियन ट्रेडिंग के कारोबार पर नजर डाले तो पिछले तीन सालों में ये धंधा ₹50,000 करोड़ के पार पहुंच गया है और 5 करोड़ से ज्यादा यूजर्स इसमें आ चुके हैं। Probo, Opinio by MPL, TradeX, Real 11 जैसे प्लेटफॉर्म इस बिजनेस में हैं। चारों प्लेटफॉर्म्स में विदेशी से लेकर घरेलू निवेशकों तक ₹4,200 करोड़ से ज्यादा की फंडिंग अब तक कर चुके हैं।

सीएनबीसी-आवाज़ ने इन सभी ऐप्स को चिट्ठी लिख कर इनकी राय मांगी लेकिन ये जवाब देने से बचते रहे। एक ऐप बिग कैश का कहना है कि वो खुद को एक स्किल बेस्ड रियल टाइम ऐप मानता हैं। लेकिन सवाल हैं, सिर्फ तुक्का या अंदाजा लगाने में कौन सा स्किल है। ये ऐप्स किस कैटिगरी में आते हैं इसपर भी सवाल है।

वैसे भारतीय कानूनों के तहत किसी भी तरह का जुआ 'पब्लिक गैंबलिंग एक्ट' और 'आईटी नियम' जैसे प्रावधानों का उल्लंघन है। लेकिन अभी भी नियमों में कई जगह गैप है जिसके चलते 'ओपिनियन ट्रेडिंग' जैसे कारोबार खुद को स्किल गेमिंग बताकर अपना काम चला रहे हैं।

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