'लव जिहाद' और 'लैंड जिहाद' पर नया कानून, उम्रकैद की सजा, असम में सख्त कानून लाएंगे हिमंत बिस्वा सरमा
अमस के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारी सरकार लव जिहाद मामलों के सख्त से सख्त सजा के लिए एक कानून का ड्राफ्ट तैयार कर रही है। सरमा ने यह भी कहा कि जल्द ही एक नई अधिवास नीति (Domicile Policy) भी पेश की जाएगी, जिसके तहत केवल असम में जन्में लोगों को ही राज्य सरकार की नौकरियां मिलेंगी
'लव जिहाद' और 'लैंड जिहाद' पर असम में सख्त कानून लाएंगे हिमंत बिस्वा सरमा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में कई नए कानून लाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा, "असम सरकार Land Jihad और Love Jihad को रोकने के लिए दो कानून ला रही है।" उन्होंने असम बीजेपी एग्जीक्यूटिव की बैठक में ये ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही ‘लव जिहाद’ के मामलों में आजीवन कारावास की सजा के लिए एक नया कानून लाएगी। साथ ही एक ऐसा कानून भी लाएगी जिसमें, हिंदू और मुस्लिम दोनों को ही एक दूसरे को अपनी बेचने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा, "अगर कोई मुस्लिम हिंदू की संपत्ति खरीदना चाहता है या कोई हिंदू मुस्लिम की संपत्ति खरीदना चाहता है, तो उसे सरकारी अनुमति लेनी होगी। लव जिहाद करने वालों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी।"
उन्होंने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारी सरकार लव जिहाद मामलों के सख्त से सख्त सजा के लिए एक कानून का ड्राफ्ट तैयार कर रही है। असम में यह बड़े पैमाने पर है। फेसबुक पर लोगों ने हिंदू नाम लिखते हैं और फिर शाद के बाद लड़की को पता चलता है कि ये वो लड़का नहीं है। ऐसे में पीड़िता को न्याय मिलना ही चाहिए।"
BJP की विरासत राष्ट्रीय सेवा की है: हिमंत बिस्वा
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस वालों सुन लो, आपका अतीत तुष्टिकरण का है, जबकि BJP की विरासत राष्ट्रीय सेवा की है। आपने एक विशेष समुदाय को जमीन पर कब्जा करने के लिए विशेष छूट दी, जबकि हमने चंडीगढ़ के बराबर एक क्षेत्र को अतिक्रमणकारी से मुक्त कर दिया है।"
उन्होंने कहा, "लेकिन राज्य में अभी भी 'उत्तरी केंद्र शासित प्रदेश के 20 गुना' के बराबर जमीन पर अतिक्रमण करने वालों का कब्जा है।"
उन्होंने कहा कि भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए दूसरी पहलों में अविभाजित ग्वालपाड़ा जिले में एक 'विशेष समुदाय' के लोगों को जमीन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाने का प्रस्ताव शामिल है।
जमीन बेचने से पहले सरकार से लेनी होगी अनुमति
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि असम सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जमीन की बिक्री के बारे में भी फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार इस तरह के लेन-देन को रोक नहीं सकती, लेकिन उसने आगे बढ़ने से पहले मुख्यमंत्री की सहमति लेना अनिवार्य कर दिया है।
दरअसल राज्य सरकार ने 7 मार्च को इसी तरह की एक नोटिफिकेशन जारी की थी, जिसमें लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी संभावित 'सांप्रदायिक संघर्ष' से बचने के लिए तीन महीने के लिए दो अलग-अलग समुदायों के बीच जमीन की बिक्री पर रोक लगाई गई थी।
सोमवार को मीडिया से पर सरमा ने कहा, अलग-अलग मूलनिवासी समुदाय अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। ग्रामीणों को अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर किया जाता है।
झारखंड का दिया उदाहरण
उन्होंने झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा, "झारखंड में मैं देखता हूं कि कैसे ग्रामीणों को घेर लिया गया। असम के बारपेटा और धुबरी में ऐसे कई उदाहरण हैं कि कैसे हमने अपनी जमीनें खो दी हैं।"
इसलिए हम अंतर-समुदाय के बीच जमीन बिक्री को सीधे तौर पर रोकने के लिए एक कानून लाएंगे। गोलपारा में डेमोग्राफिक अटैक अब अपने चरम पर है।
असम में जन्में लोगों को ही मिलेगी नौकरी
वहीं सरमा ने यह भी कहा कि जल्द ही एक नई अधिवास नीति (Domicile Policy) भी पेश की जाएगी, जिसके तहत केवल असम में जन्में लोगों को ही राज्य सरकार की नौकरियां मिलेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले किए गए वादे के अनुसार उन्हें ‘एक लाख सरकारी नौकरियों’ में प्राथमिकता दी गई है, जो पूरी लिस्ट जारी होने पर साफ हो जाएगा।
सरमा ने दावा किया कि इसके उलट, कांग्रेस सरकार के तहत राज्य पुलिस में कांस्टेबल की 30 प्रतिशत तक नौकरियां एक “विशेष समुदाय” के लोगों को मिली थीं, जब धुबरी के मौजूदा सांसद गृह विभाग के प्रभारी थे। हालांकि, उन्होंने इस पर ज्यादा विस्तार से कुछ नहीं बताया।