Atal Bihari Vajpayee: 'क्या हार में, क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो भी मिला, यह भी सही वो भी सही, वरदान नहीं मांगूगा, हो कुछ पर हार नहीं मानूंगा...' ये कविता देश के ऐसे राजनेता की लिखी हुई है, जिसने न सिर्फ जनता के दिलों पर राज किया, बल्कि अपने प्रतिद्वंदियों तक के दिलों को जीता.. ये नेता कोई और नहीं बल्कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihar Vajpayee) थे। वाजपेयी को 'राजनीति में अजातशत्रु' कहा जाता था। अजातशत्रु का मतलब है, जिसका कोई शत्रु या दुश्मन न हो। राजनेता होने के साथ ही वे एक कोमल हृदय के कवि भी थे।
25 दिसंबर 2023 को अटल बिहारी की जन्म जयंती है। इसी कड़ी में Moneycontrol Hindi लेकर आ रहा है, अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ अनछुए और अनसुने किस्से। इसकी शरुआत हम सन 1942 से करेंगे, जब उनका पहला कदम राजनीति में पड़ा। तब अटल बिहारी वाजपेयी की उम्र 16 साल से भी कम थी।
भारत छोड़ो आंदोलन में क्या थी वाजपेयी की भूमिका?
यही वो साल था, जब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। तब अटल और उनके बड़े भाई प्रेम को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिन के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, कई रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है कि वाजपेयी ने अपने गृह गांव बटेश्वर में "स्वतंत्रता सेनानी" के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया था।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह "भीड़ का एक हिस्सा" थे, जो सिर्फ भीड़ के साथ गए और पुलिस एक्शन देख रहे थे। उनकी 27 अगस्त, 1942 को बटेश्वर में हुई घटनाओं में कोई भूमिका नहीं थी।
उन्होंने Frontline को दिए एक इंटरव्यू में बताया, "मैंने जो कुछ भी देखा था, उसे बताया। मैंने किसी के खिलाफ कुछ नहीं बोला।"
वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि सालों तक बनी रही और अलग-अलग बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।
वाजपेयी ने अपना करियर बतौर पत्रकार शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी थी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले भारती जन संघ के नाम से जाना जाता था, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अभिन्न अंग है।
वाकपटुता और सांगठनिक मजबूती के दम पर वह जल्द ही जनसंघ का चेहरा बन गए। दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के साथ ही जनसंघ की जिम्मेदारी नौजवान वाजपेयी के कंधों पर आ गई। वह 1968 में इसके अध्यक्ष बने।
उस समय पार्टी के साथ नानाजी देशमुख, बलराज मधोक और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता थे। 1975-77 में आपातकाल के दौरान वाजपेयी दूसरे नेताओं के साथ उस समय गिरफ्तार कर लिए गए, जब वे आपातकाल के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना कर रहे थे।
जेल से छूटने के बाद वाजयेपी ने जनसंघ को जनता पार्टी में विलय कर दिया। 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और वे मोरारजी भाई देसाई की सरकार में विदेश मंत्री बने।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। उनके पिता कवि और स्कूल मास्टर थे। वाजपेयी की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर और ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से हुई। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में 75 फीसदी से ज्यादा अंक पाए थे।