UP Bypolls: 'बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे', इस एक नारे ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्व अपील को और मजबूत किया और 9 में से 7 सीटें जीत ली। सपा के खाते में सिर्फ दो ही सीट गई और दोनों ही सीटें तीन दशकों से सपा का गढ़ रही हैं। इसने 2027 विधानसभा चुनावों के लिए अखिलेश यादव की PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) जातिवादी रणनीति को तगड़ा झटका दिया। सपा को सबसे बड़ा झटका मुरादाबाद की कुदरकी सीट पर मिली, जहां 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और यहां से बीजेपी के रामवीर सिंह ने सपा के मोहम्मद रिजवान को 1,44,791 मतों के भारी अंतर से हराया।
नतीजे के बाद की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात सीटों पर जीत को अपनी सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की पुष्टि के रूप में मनाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी-एनडीए की जीत डबल-इंजन सरकार की सुरक्षा, अच्छे शासन और जनकल्याण नीतियों में लोगों के अडिग भरोसे का प्रतीक है। उन्होंने वोटर्स और पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। अपने 'बाटेंगे तो कटेंगे' बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने हिंदुत्व के तहत एकता का संदेश दोहराते हुए कहा, "सभी विजेता उम्मीदवारों को हार्दिक बधाई। यह परिणाम हमारी विकासकेंद्रित राजनीति में लोगों के विश्वास को दर्शाता है।"
वहीं अपनी पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद सपा सांसद डिंपल यादव ने वोटर्स का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में वोट किया। हम लोगों के जनादेश का सम्मान करते हैं और उनके अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।"
दलितों और कांग्रेस की अनुपस्थिति से भी लगा झटका?
'बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे' ने बीजेपी को सपोर्ट तो किया ही, साथ ही दलितों और कांग्रेस की अनुपस्थिति से भी सपा को झटका लगा है। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के उपचुनावों के रिजल्ट्स ने दलित वोटर्स में महत्वपूर्ण बदलाव दिखाया। इस बार लोकसभा चुनावों के विपरीत दलित समाज ने सामाजवादी पार्टी के पक्ष में भारी मतदान नहीं किया बल्कि उनका एक हिस्सा मायावती की बहुजन समाज पार्टी बसपा की तरफ गया को दूसरा बड़ा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में गया।
इसके अलावा इन उपचुनावों में कांग्रेस और सपा के बीच लोकसभा चुनावों वाली एकता नहीं दिखी। सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद के कारण कांग्रेस ने उपचुनावों में भाग नहीं लिया। पार्टी ने चार सीटों की मांग की थी, लेकिन सपा उन्हें सिर्फ दो ही सीटें देने को तैयार थी। इसके चलते कांग्रेस नेताओं ने उपचुनावों से दूरी बना ली। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी प्रचार में नहीं दिखे, जिससे गठबंधन की संभावनाएं कमजोर पड़ीं।
कुंदरकी (मुरादाबाद): बीजेपी के रामवीर सिंह ने सपा के मोहम्मद रिजवान को 1,44,791 मतों से हराया। यह अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में बीजेपी के लिए एक बड़ी जीत है।
सीसामऊ (कानपुर): सपा के नसीम सोलंकी ने सीट बरकरार रखी। यह सीट पिछले तीन दशक से सपा के ही पास है।
करहल (मैनपुरी): अखिलेश यादव के इस गढ़ में सेंध नहीं लग सकी और तेजप्रताप सिंह ने जीत हासिल की। सपा के खाते में यह सीट तीन दशकों से है।
फूलपुर (प्रयागराज): बीजेपी के दीपक पटेल ने सपा के मोहम्मद मुस्तफा सिद्धिकी को हराया।
मीरपुर (मुजफ्फरनगर): राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की मिथलेश पाल ने 30,796 वोटों से जीत हासिल की।
गाजियाबाद: यह बीजेपी का गढ़ है। अतुल गर्ग ने पिछली बार सीट जीती थी और संजीव शर्मा ने इसे पार्टी के लिए फिर से बरकरार रखा।
कटहरी: बीजेपी ने यह सीट समाजवादी पार्टी से छीन ली। धर्मराज निषाद ने सपा की शोभावती वर्मा को 34,514 वोटों से हराया।
मझवां: बीजेपी की शुचिस्मिता मौर्य ने सपा की डॉ ज्योति बिंद को हराया।
खैर: बीजेपी के सुरेंद्र दिलेर ने सपा की चारु कैन को हराया।