Bihar Politics: भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता सुशील कुमार मोदी (Suhil Modi) ने शुक्रवार को कहा कि राजनीति में किसी के लिए दरवाजे कभी भी स्थायी रूप से बंद नहीं होते हैं। उनका ये बयान इन संकेतों के बीच आया है, जब ‘INDIA’ गठबंधन के सहयोगियों के साथ समीकरण खराब होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पुराने सहयोगी बीजेपी खेमे में लौट सकते हैं।
BJP और JDU दोनों दलों के सूत्रों ने ऐसी संभावना जताई है, लेकिन ये अभी तक साफ नहीं है कि अपनी पार्टी के निर्विवाद नेता नीतीश कुमार ने BJP के शीर्ष नेताओं के साथ किसी समझौते को अंतिम रूप दिया है या नहीं।
सुशील मोदी ने संवाददाताओं से कहा, "जहां तक नीतीश कुमार या JDU का सवाल है, राजनीति में दरवाजे कभी भी स्थायी तौर पर बंद नहीं होते हैं। समय आने पर बंद दरवाजे खुलते हैं, लेकिन दरवाजे खुलेंगे या नहीं, यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है।"
नीतीश को लेकर नरम पड़े BJP नेता
नीतीश कुमार की तरफ से 2022 में BJP से अपना नाता तोड़ने के बाद, BJP के नेतागण कहते रहे हैं कि कुमार के लिए उनकी पार्टी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं, लेकिन हाल में BJP नेताओं के बयानों में नरमी दिख रही है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकारों में सुशील मोदी लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद BJP-JDU गठबंधन के सत्ता में आने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था।
सुशील मोदी इस बार BJP के शीर्ष नेताओं की बातचीत में शामिल रहे हैं, जो संकेत है कि अगर दोनों दल फिर से एक साथ आते हैं तो अनुभवी सुशील मोदी को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
सूत्रों ने बताया कि BJP राज्य के घटनाक्रम को लेकर चिराग पासवान और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित बिहार में अपने सहयोगियों के संपर्क में है, लेकिन उन्हें नीतीश कुमार की वापसी की संभावना के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
एक सहयोगी ने कहा कि BJP ने इसे खारिज नहीं किया है और न ही स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में वापसी के लिए जमीन तैयार की जा रही है।"
BJP सूत्रों ने कहा कि NDA के उनके गठबंधन में शामिल होने से यह सुनिश्चित होगा कि राजग बिहार में लोकसभा चुनाव में भारी जीत हासिल करेगा।
साल 2019 के आम चुनाव में राजग ने बिहार की 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी।
इस बीच, बिहार में BJP नेताओं का एक वर्ग नीतीश कुमार के साथ गठबंधन के लिए उत्सुक नहीं है। ऐसे नेताओं का दावा है कि मुख्यमंत्री का प्रभाव कम हो रहा है और उनकी ‘घटती विश्वसनीयता’ BJP को नुकसान पहुंचाएगी।