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Delhi Asha Kiran: दिल्ली का आशा किरण बना मौत का घर! शेल्टर होम में 14 से ज्यादा मौत, आतिशी ने दिए जांच के आदेश

Delhi Asha Kiran Case: सरकारी अधिकारियों ने कहा, "जनवरी में तीन, फरवरी में दो, मार्च में एक, अप्रैल में तीन और मई में एक भी मौत नहीं हुई। हालांकि, जून और जुलाई में ये संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी।" इस खबर के बाद से दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गई है और मंत्री आतिशी ने इस पूरी मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं

अपडेटेड Aug 02, 2024 पर 2:40 PM
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Delhi Asha Kiran: आशा किरण शेल्टर होम में एक महीने में 14 से ज्यादा मौत

रोहिणी में दिल्ली सरकार के "मानसिक रूप से विकलांगों के लिए घर" आशा किरण में एक महीने में 14 से ज्यादा मौतें हुई हैं। शेल्टर होम में मरने वालों में एक नाबालिग और छह महिलाएं शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि मामले की जांच के लिए पिछले हफ्ते एक जांच आयोग बनाया गया था और उसकी रिपोर्ट का इंतजार है। सरकारी अधिकारियों ने कहा, "जनवरी में तीन, फरवरी में दो, मार्च में एक, अप्रैल में तीन और मई में एक भी मौत नहीं हुई। हालांकि, जून और जुलाई में ये संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी।"

इस खबर के बाद से दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गई है और मंत्री आतिशी ने इस पूरी मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। Indian Express ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया मरने वाले ज्यादातर कैदियों की उम्र 20 से 30 के बीच थी, और मौत का कारण फेफड़ों में संक्रमण, TB और निमोनिया सहित अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं बताया गया था। रोहिणी में दिल्ली सरकार के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में दो शवों का पोस्टमॉर्टम होना बाकी है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा, "कई कैदियों में कुपोषण के लक्षण भी देखने को मिले।" फूड पॉइजनिंग की आशंका भी जताई जा रही है। इसके लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है।


अधिकारयों को टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार

टेस्ट में विसरा और हिस्टोपैथोलॉजी टेस्ट शामिल हैं। विसरा टेस्ट में, शरीर के अंदर के अंगों, खासतौर से शरीर की कैविटी में, संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के कारण का पता लगाने के लिए गहन जांच की जाती है। ये टेस्ट तब किया जाता है, जब अटोप्सी करना मुश्किल हो।

हिस्टोपैथोलॉजी टेस्ट स्वास्थ्य समस्याओं, अंदरूनी चोट, या टिश्यू में किसी भी असामान्य लक्षण के संकेत के लिए ह्यूमन टिश्यू की जांच करने के लिए किया जाता है।

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, "हमें 1-2 महीने में साफ तस्वीर मिल जाएगी. जब हमारे पास सभी रिपोर्टें होंगी।"

आशा किरण में पहले भी हुई कैदियों की मौत

ये शेल्टर होम दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के तहत आता है। 1989 में रोहिणी के सेक्टर-1 में 350 लोगों की क्षमता के साथ इसे बनाया गया था। उस समय, यह पूरे उत्तर भारत में मानसिक रूप से विकलांग लोगों के लिए अकेला सरकारी शेल्टर होम था।

ये पहली बार नहीं है, जब आशा किरण कैदियों की मौत के कारण विवादों में घिरा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि 2011 से 2017 के बीच आशा किरण में 123 पुरुष और 73 महिला कैदियों की मौत हो गई।

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