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अस्सी के दशक में कर्पूरी ठाकुर की हत्या की विफल साजिश हुई थी, आखिर किसने रचा था षडयंत्र

कर्पूरी ठाकुर के असामयिक निधन की स्थितियों की जांच की मांग पूर्व मुख्य मंत्री राम सुंदर दास ने की थी। दिवंगत दास ने सन 1994 में प्रेस कांफ्रेंस में यह मांग की कि कर्पूरी ठाकुर की मौत के कारणों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए

Surendra Kishoreअपडेटेड Mar 25, 2024 पर 7:16 AM
अस्सी के दशक में कर्पूरी ठाकुर की हत्या की विफल साजिश हुई थी, आखिर किसने रचा था षडयंत्र
कर्पूरी ठाकुर झोपड़ी में पैदा हुए थे और अपने वंशजों के लिए वही झोपड़ी छोड़कर मरे

यह बात कम ही लोग जानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की हत्या की साजिश रची गयी थी।

यह बात 1984 की है। यह साजिश बिहार के एक बड़े नेता के पटना स्थित आवास पर हुई। पर यह सूचना लीक हो गयी। याद रहे कि झोपड़ी के लाल कर्पूरी ठाकुर को नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल ‘भारत रत्न’ सम्मान से नवाजा है। याद रहे कि दिवंगत ठाकुर जीवन भर गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों के पक्ष में आवाज उठाते रहे।

नतीजतन निहित स्वार्थी तत्व और उनके राजनीतिक विरोधी उनके खिलाफ साजिश रचते रहते थे।

इस संबंध में 11 सितंबर 1984 को खुद कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मुख्य सचिव और डी.जी.पी.को पत्र लिखे थे। तत्कालीन मुख्य सचिव के.के.श्रीवास्तव ने वह पत्र तब के मुख्य मंत्री चद्र शेखर सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने उस पर 13 सितंबर को लिखा कि ‘‘किस व्यक्ति द्वारा इन्हें ऐसी सूचना मिली, इसकी जानकारी प्राप्त कर पूछताछ की जानी चाहिए।’’

याद रहे कि इस संबंध में कर्पूरी ठाकुर ने मुख्य सचिव को लिखा था कि पटना में एक नेता के आवास पर इस अगस्त महीने में एक बैठक हुई थी। उसमें दस व्यक्ति मौजूद थे। वे दो जातियों से थे।बाद में उनमें से दो व्यक्तियों ने साजिश की सूचना लीक कर दी।एक व्यक्ति ने एक पूर्व मंत्री और दूसरे व्यक्ति ने एक दूसरे पूर्व मंत्री को यह सूचना दी। अपने पत्र में कर्पूरी ठाकुर ने उन पूर्व मंत्रियों के नाम भी लिखे थे।

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