आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने रविवार को कहा कि अगर उनकी पार्टी गुजरात (Gujarat) में सत्ता में आती है, तो राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को लागू किया जाएगा।
केजरीवाल ने यह भी गारंटी दी कि गुजरात की आदिवासी सलाहकार समिति का नेतृत्व मुख्यमंत्री के बजाय समुदाय के एक व्यक्ति की तरफ से किया जाएगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने गुजरात के अपने दौरे के दूसरे दिन वडोदरा में मीडिया को संबोधित करते हुए यह बात कही। गुजरात में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है।
दरअसल, संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से जुड़े प्रावधानों से संबंधित है।
पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को 1996 में संसद की तरफ से अधिनियमित किया गया था। इसे पेसा अधिनियम (PESA Act) के नाम से भी जाना जाता है।
पेसा अधिनियम के तहत देश के अलग-अलग राज्यों को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को मजबूत करने के लिए इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने को कहा गया था।
केजरीवाल ने कहा, "हम संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को शब्दशः लागू करेंगे। हम पेसा अधिनियम को भी सख्ती से लागू करेंगे, जो कहता है कि कोई भी सरकार ग्राम सभा की सहमति के बिना आदिवासी क्षेत्र में कार्रवाई नहीं कर सकती।"
उन्होंने कहा, "एक आदिवासी सलाहकार समिति है। इसका काम आदिवासी क्षेत्रों के विकास की निगरानी करना है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे करना है। कानून कहता है कि आदिवासी सलाहकार समिति का अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए, जबकि गुजरात में मुख्यमंत्री इस समिति का नेतृत्व करते हैं। यह रोका जा सकता है।"