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मोरारजी देसाई की सरकार को बचाना चाहते थे ज्योति बसु लेकिन ऐसा नहीं कर पाए, जानिए क्यों

ज्योति बसु कोलकाता से दिल्ली पहुंचे तो प्रधान मंत्री की कुर्सी उनकी चौखट पर दस्तखत दे रही थी लेकिन पोलित ब्यूरो ने न सिर्फ प्रधानमंत्री का पद ठुकराने का निर्णय किया बल्कि सरकार से भी बाहर रहने का फैसला किया

Surendra Kishoreअपडेटेड Oct 03, 2022 पर 3:10 PM
मोरारजी देसाई की सरकार को बचाना चाहते थे ज्योति बसु लेकिन ऐसा नहीं कर पाए, जानिए क्यों
प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं कर पाए ज्योति बसु, जानिए क्या रही वजह

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता और पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री ज्योति बसु चाहते थे कि मोरारजी देसाई सरकार को गिरने से बचाया जाए। लेकिन उनकी पार्टी माकपा इसके पक्ष में नहीं थी। नतीजतन सरकार गिर गई। और चरण सिंह की सरकार बन गई। इतना ही नहीं, माकपा ने बाद के वर्षों में अवसर मिलने के बावजूद ज्योति बसु को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था।

सन 1979 में राजनीतिक संकट की घड़ी में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने ज्योति बसु से कहा था कि आप हमारी सरकार को गिरने से बचाइए। तब ज्योति बसु विदेश यात्रा पर थे। प्रधानमंत्री ने उन्हें फौरन स्वदेश आने को भी कहा था। ज्योति बसु ऐसा करने का मन भी बना चुके थे। लेकिन जब तक ज्योति बसु स्वदेश पहुंचे, उससे पहले ही उनकी पार्टी यह फैसला कर चुकी थी कि देसाई सरकार को गिरने से नहीं बचाना है।

इस मामले में माकपा के नेतृत्व ने ज्योति बसु से कुछ पूछने की जरूरत तक नहीं समझी। इतना ही नहीं, राजनीतिक दलों ने ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनने का ऑफर दिया लेकिन माकपा ने उन्हें यह ऑफर स्वीकार नहीं करने दिया।

बाद में ज्योति बसु ने कहा था कि केंद्र सरकार में शामिल होने के बारे में हमारी पार्टी ने अड़ियल रुख अपनाया। क्योंकि इस मामले में पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी के साथियों में राजनीतिक समझ का अभाव था। नतीजतन वे स्थिति का सामना सकारात्मक ढंग से नहीं कर सके।

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