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Fodder Scam: चारा घोटाले के 5वें मामले में लालू यादव को 5 साल की सजा, 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा

CBI की स्पेशल कोर्ट ने डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया था, यह चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां मुकदमा है, जिसमें अदालत ने उन्हें दोषी माना है

अपडेटेड Feb 21, 2022 पर 2:36 PM
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लालू के वकील ने बताया कि आगे जमानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दी जाएगी

चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के मामले में दोषी करार दिए गए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) समेत 38 दोषियों को रांची की विशेष सीबीआई अदालत सजा सुना दी है। RJD नेता लालू प्रसाद यादव को रांची की CBI अदालत ने 950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले के पांचवें मामले में 5 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ अदालत ने 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत के जज एस के शशि ने 15 फरवरी को इन सभी को दोषी करार देते हुए सजा पर सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की थी। लालू के वकील ने बताया कि आगे जमानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दी जाएगी। फिलहाल, ऊपरी अदालत से जमानत नहीं मिलने तक लालू को जेल में ही रहना पड़ेगा।

170 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया था चार्जशीट


इस मामले में सीबीआई ने कुल 170 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 148 आरोपियों के खिलाफ 26 सितंबर 2005 में आरोप तय किए गए थे। चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में 14 साल तक की सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव समेत 99 लोगों के खिलाफ अदालत ने सभी पक्षकारों की बहस सुनने के बाद 29 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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लालू यादव को चारा घोटाला के चार अन्य मामलों में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इसके पहले चारा घोटाले के चार मुकदमों में अदालत ने लालू प्रसाद यादव को कुल मिलाकर साढ़े 27 साल की सजा दी है, जबकि एक करोड़ रुपए का जुर्माना भी उन्हें भरना पड़ा।

बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में साल 1996 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया। मुकदमा संख्या आरसी-47 ए/96 में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे।

55 आरोपियों की मौत हो चुकी

इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया। दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया। छह आरोपी आज तक फरार हैं।

इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किए गए। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किए थे। पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांढ़, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोटिर्ंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गई।

फर्जी गाड़ियों के जरिए घोटाले को दिया गया अंजाम

जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोटिर्ंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया। जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गई थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले। CBI ने इस मामले में 64 केस दर्ज किए थे और लालू यादव का नाम इनमें से छह मुकदमों में था। चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं।

सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किए कि मुख्यमंत्री पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधार राशि की निकासी की गई। चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते आरजेडी सुप्रीमो को आधा दर्जन से भी ज्यादा बार जेल जाना पड़ा। इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है।

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