Congress President Election: देर से ही सही लेकिन अब तक की सबसे मजबूत उम्मीदवारी दिखाते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। खड़गे ने तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर खिलाफ पर्चा भरा है।
दिग्विजय सिंह ने एक दिन पहले पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन उन्होंने भी खड़गे को अपना समर्थन दे दिया है। वहीं अशोक गहलोत भी पहले एक मजबूद दावेदार के रूप में देखे जा रहे थे, लेकिन राजस्थान में हुई बगावत के बाद वे भी पीछे हट गए और खड़गे को समर्थन दे दिया।
कर्नाटक की राजनीति में शीर्ष नेता खड़गे हमेशा सत्ता के भीतर और बाहर गांधी परिवार के प्रति वफादार रहे हैं। 2004 में, जब कांग्रेस आलाकमान ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को बाहर करने के लिए JD(S) के साथ गठबंधन करने का फैसला किया, तो धर्म नारायण सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।
एसएम कृष्णा की निवर्तमान सरकार में दूसरे नंबर पर रहे खड़गे जाहिर तौर पर इससे नाराज थे। उनके समर्थकों ने उनसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने अपनी नाराजगी जताने और उन्हें दी गई मंत्री पद की पेशकश को स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया था। लेकिन खड़गे ने उनके सुझावों को खारिज कर दिया और दावा किया कि वह कभी भी पार्टी और गांधी परिवार के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे।
2008 में कांग्रेस ने खड़गे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। कर्नाटक का सीएम बनने का यह उनका सबसे अच्छा मौका था, लेकिन कांग्रेस बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली बीजेपी से हार गई और उन्हें एक बार फिर विपक्ष में बैठना पड़ा।
दलित नेता और कभी अत्यंत पिछड़े गुलबर्गा के एक मिल मजदूर के बेटे खड़गे ने बड़ी मेहनत से खुद को अपने दम पर यहां तक पहुंचाया है। 1972 के विधानसभा चुनावों में उनकी पहली जीत के बाद से उन्हें देखने वाले लोगों का कहना है कि वे वफादारी, धैर्य, बड़े प्रशासनिक अनुभव और किसी भी स्थिति को संभालने की उनकी क्षमता के कारण ही पार्टी में इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
वे यह भी बताते हैं कि गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा काफी गहरी है। निजी जीवन में खड़गे बहुत ही रिजर्व व्यक्ति हैं। खड़गे तब गुस्सा हो जाते हैं, जब लोग उन्हें दलित नेता के रूप में पेश करते हैं।
उन्होंने पिछली कई बार ये कहा, "मैं एक दलित हूं। यह सच है। लेकिन, मैं अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर यहां तक पहुंचा हूं। हर जाति और धर्म ने मेरा साथ दिया है। मुझे सिर्फ दलित नेता ही नहीं, कांग्रेस का नेता कहें, जनता का नेता कहें। मैं इसे अपमान मानता हूं। मैं किसी बड़ी चीज के लायक हूं, क्योंकि मैं सक्षम हूं, इसलिए नहीं कि मैं दलित हूं।"
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब खड़गे को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया, तो नेशनल मीडिया ने इसे केवल उनके दलित होने के नजरिए से ही ज्यादा देखा था। इतना ही नहीं लुटियंस दिल्ली के कुछ मीडियाकर्मियों और दरबारियों ने उनके प्रमोशन का मजाक तक उड़ाया था। कई लोगों ने उनके साथ तिरस्कार किया था।
लेकिन एक दृढ़ और अनुभवी खड़गे ने लोकसभा में मोदी सरकार पर चतुराई से हमला करके, सदन में अपने आचरण के लिए प्रधान मंत्री की प्रशंसा अर्जित करके उन सभी को गलत साबित कर दिया। उनके प्रदर्शन ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों को भी प्रभावित किया था।
वकालत की पढ़ाई करने वाले खड़गे ने 27 साल की उम्र में पहली बार 1972 में कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डी देवराज उर्स युवा अनुसूचित जाति विधायक की क्षमताओं से प्रभावित हुए और उन्हें मंत्री बना दिया। कर्नाटक के शीर्ष नेता, एसएम कृष्णा, एस बंगारप्पा, एम वीरप्पा मोइली, केएच रंगनाथ, एमवाई घोरपड़े, और कई बाकी तब उनके कैबिनेट सहयोगी थे।