सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार 22 फरवरी को शिवसेना (Shiv Sena) के उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे को पार्टी का नाम और 'धनुष बाण' चुनाव चिन्ह दिया गया था। अदालत ने शिंदे गुट को नोटिस जारी कर उद्धव गुट की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, ठाकरे खेमे की याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा और महाराष्ट्र विधान परिषद (MLC) में अंतर-पार्टी बहुमत को ध्यान में नहीं रखा। उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के आदेश को दोषपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।
"ज्वलंत मशाल" इस्तेमाल करने की इजाजत
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ग्रुप को मामले के लंबित रहने के दौरान चुनाव आयोग के आदेश के पैराग्राफ 133 (IV) के संदर्भ में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और प्रतीक "ज्वलंत मशाल" को बनाए रखने की अनुमति दे दी है। चुनाव आयोग ने 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर अंतरिम व्यवस्था की अनुमति दी थी।
याचिका में दलील दी गई थी कि चुनाव आयोग ने यह कहकर गलती की है कि शिवसेना में विभाजन हो गया था। इसमें कहा गया कि जब किसी राजनीतिक दल में विभाजन का कोई साक्ष्य नहीं है तो निर्वाचन आयोग का निष्कर्ष इस आधार पर पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि पार्टी के प्राथमिक सदस्यों और अन्य पक्षकारों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था प्रतिनिधि सभा में ठाकरे खेमे को जबरदस्त बहुमत प्राप्त है।
ठाकरे गुट ने याचिका में कहा कि आयोग ने पूर्वाग्रह के साथ और अनुचित तरीके से कार्रवाई की है। बता दें कि चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी। साथ ही उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘धनुष बाण’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।