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QR Code On Medicine: खरीदी गई दवा असली है या नकली, सिर्फ 10 सेकंड में हो जाएगी पहचान, जानिए कैसे?

QR Code: Drug Pricing Authority ने 300 ऐसी दवाओं को शॉर्टलिस्ट किया है, जिन पर अब QR कोड लगाया जाएगा। इससे दवाओं की कीमतों और बिक्री में पारदर्शिता आएगी

अपडेटेड Jun 05, 2022 पर 12:37 PM
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300 दवाइयों के ब्रांड पर लगेगा QR कोड

QR Code: अब आप अगर मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन तरीके दवाइयां (Medicine) खरीद रहे हैं तो यह असली है या नकली, इसकी पहचान करना बेहद आसान हो जाएगा। सरकार ने दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredient-APIs) पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया था। इसके तहत ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी (Drug Pricing Authority – DPA -दवा नियामक प्राधिकरण) 300 दवाइयों पर QR कोड लगाने की तैयारी कर ली है।

माना जा रहा है कि इस कदम से दवाओं की बिक्री और कीमतों में पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही कालाबाजारी पर भी लगाम कसेगी। इस लिस्ट पेन रिलीफ, विटामिन्स के सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर, शुगर और कॉन्ट्रासेप्टिव की दवाओं को शामिल किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग ऑथॉरिटी ने इसमें बड़े ब्रांड जैसे डोलो (Dolo), सैरिडॉन (Saridon), फैबीफ्लू (Fabiflu), इकोस्पिरिन (Ecosprin), लिम्सी (Limcee), सुमो (Sumo), कैलपोल (Calpol), कॉरेक्स सीरप (Corex syrup), अनवांटेड(Unwanted 72) और थाइरोनॉर्म (Thyronorm) जैसे बड़े ब्रांड शामिल किए हैं। ये सभी दवाएं बहुत पॉपुलर हैं और बुखार, सिरदर्द, वायरल, विटामिन डेफिसिएंसी, खांसी, थाइरॉइड और कॉन्ट्रॉसेप्टिव के लिये दी जाती हैं। इन दवाओं का सेलेक्शन मार्केट रिसर्च के मुताबिक, इनके सालभर के टर्नओवर पर किया गया है। इन दवाओं की एक लिस्ट हेल्थ मिनिस्ट्री को भेजा गया है। ताकि QR कोड के तहत लाने के लिए इनमें जरूरी बदलाव किए जा सकें।

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QR कोड से क्या होगा?

API में QR कोड लगाने से इस बात का भी पता लगाया जा सकेगा कि दवा को बनाने में कहीं फॉर्मूले में तो कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। इसके साथ ही कच्चा माल कहां से आया है और यह प्रोडक्ट कहां जा रहा है। ऐसी तमाम जानकारी मिल सकेगी। बता दें कि गुणवत्ता से हल्की क्वॉलिटी, नकली या फिर खराब API से बनी दवाओं का मरीज को फायदा नहीं मिलता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून 2019 में DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वहीं इस मामले में फार्मा इंडस्ट्री के इनसाइडर का कहना है कि छोटे और मीडियम साइज के बिजनेसमैन के लिए पैकेजिंग में ये सब बदलाव करना आसान नहीं होगा। इस काम में काफी मेहनत लगेगी और इसमें पैसे भी ज्यादा खर्च होंगे। फार्मा कंपनी और दूसरे लॉबी ग्रुप का ये भी कहना है कि अलग अलग डिपार्टमेंट से दवाओं के ट्रैकिंग और ट्रेसिंग के नियम से परेशानी होती है। लिहाजा सिंगल QR कोड सिस्टम ज्यादा सुविधाजनक है।

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