Get App

RBI ने NBFCs के रेगुलेशन के लिए जारी किया डिस्कशन पेपर, NBFCs के लिए कानून में 4 लेयर वाले स्ट्रक्चर का सुझाव

बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता लाने के लिए RBI नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए सख्त नियम लागू करने की तैयारी में है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 23, 2021 पर 8:19 AM
RBI ने NBFCs के रेगुलेशन के लिए जारी किया डिस्कशन पेपर, NBFCs के लिए कानून में 4 लेयर वाले स्ट्रक्चर का सुझाव

बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) के लिए सख्त नियम लागू करने की तैयारी में है। NBFCs के लिए नियामकीय ढांचा यानी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने के मकसद से RBI ने शुक्रवार को एक डिस्कशन पेपर (discussion paper) जारी किया। इस पेपर में RBI ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर की बदलती हुआ वास्तविकताओं के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने के लिए NBFCs के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में बदलाव की जरूरत है। इस डिस्कशन पेपर में कहा गया है कि NBFCs के लिए बनाए जाने वाला रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 4 लेयर्स के स्ट्रक्चर पर आधारित होना चाहिए।

रिजर्व बैंक ने अपने डिस्कशन पेपर में कहा कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के स्ट्रक्चर में बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर होना चाहिए। बेस लेयर ने वैसे NBFCs को रखने का सुझाव दिया गया जो नॉन-डिपोजिट NBFCs हैं, यानी जिनमें लोग पैसे जमा नहीं करते हैं। वहीं, मिडिल लेयर में वैसै नॉन-डिपोजिट NBFCs जो फाइनेंशियल सिस्टम के लिए जरूरी हैं, उन्हें रखने की बात कही गई है। इनमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ दूसरे NBFCs को रखने का सुझाव दिया गया है और कहा गया है कि इनके लिए जो नियम बनें, वे बेस लेयर से कड़े होने चाहिए।

अधिक जोखिम वाले NBFC अपर और टॉप लेयर में हों

वहीं, अपर लेयर में ऐसे बड़े NBFCs को रखने का सुझाव दिया गया है जिनमें फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को प्रभावित करने की क्षमता है। इनके लिए बैंकों की तरह ही कड़े नियम और दूसरे प्रावधान करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इनके मैनेजमेंट को अधिक पावर और इन पर अधिक सुपरविजन रखने को कहा गया है। वहीं, टॉप लेयर में ऐसे NBFCs को रखने का सुझाव दिया गया है जो अपर लेयर में शामिल हैं और जो अधिक जोखिम वाले हैं। यानी जिनके विफल होने से फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा हो सकता है। ऐसे NBFCs के लिए सबसे अधिक कड़े नियम बनाने की बात कही गई है।

थ्रेसहोल्ड लिमिट बढ़ाने का सुझाव

RBI के डिस्कशन पेपर में कहा गया है कि NBFC को श्रेणियों में बांटने के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है कि systemically important NBFC में शामिल होने के लिए इस थ्रेसहोल्ड को 500 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है। देश में 9425 नॉन-डिपोडिट टेकिंग NBFCs हैं, जिनमें 9133 NBFCs का ऐसेट साइज 500 करोड़ रुपये से कम का है। इसके साथ नए NBFCs के लिए net owned funds  का सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है। 

सख्त नियम बन सकता है

इससे पहले खबर आई थी कि NBFC के लिए बनाये जाने वाले नियमों में इन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए भी सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) को बनाए रखना जरूरी होगा। साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (CRR) रखना भी अनिवार्य करने की योजना थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि RBI का यह कदम NBFCs के लिए बड़ा नकदी संकट खड़ा कर सकता है। अभी इस तरह की कोई भी बाध्यता नहीं है। आपको बता दैं कि IL&FS, HDFL और अल्टिको कैपिटल जैसे बड़े NBFCs के दिवालिया होने के बाद RBI ने इन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों एनबीएफसी पर सख्ती बढ़ाने की योजना बनाई है। ये कदम बड़े NBFCs को दिवालिया होने से रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं। 

सोशल मीडिया अपडेट्स के लिए हमें Facebook (https://www.facebook.com/moneycontrolhindi/) और Twitter (https://twitter.com/MoneycontrolH) पर फॉलो करें।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें