Electronic Waste Recycle Mandatory: इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट की समस्या को दूर करने के लिए सरकार गंभीर होती हुई दिखाई दे रही है। पर्यावरण मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में योगदान देने वाली कंपनियों पर एक्शन मोड में आ रही है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इलेक्ट्रानिक वेस्ट बढ़ाने में खासा योगदान देती हैं। अब कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को 2024 तक बेचा हुआ 60 परसेंट इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट रीसायकल करना अनिवार्य होगा। पर्यावरण मंत्रालय ने ई वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स नोटिफाई कर दिए हैं। पर्यावरण मंत्रालय का ये कदम कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भी पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन से झटका लगना तय है।
इस खबर पर ज्यादा डिटेल बताते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के संवाददाता असीम मनचंदा ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम नोटिफाई कर दिये हैं। सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है। सरकार के नये नियमों के मुताबिक अब इन कंपनियों के लिए 2024 तक 60% इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को रीसायकल करना जरूरी हो जायेगा।
साल 2026 तक यह लक्ष्य बढ़कर 80% हो जाएगा
असीम ने आगे कहा कि सरकार इस सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है। साल 2024 तक जहां 60% इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को रीसायकल करना जरूरी होगा वहीं साल 2026 तक यह लक्ष्य बढ़कर 80% हो जाएगा। रीसायकल के संबंध में पर्यावरण मंत्रालय ने नए नियमों को नोटिफाई कर दिया है। ये नये नियम अगले साल 1 अप्रैल 2023 से लागू होंगे। वहीं इन नियमों के लागू होने से कंपनियों की लागत बढ़ेगी लिहाजा इन नियमों को कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है।
सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के पास रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, टारगेट पूरा नहीं करने पर लगेगा पेनल्टी
असीम ने आगे कहा कि अब इन कंपनियों का सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के पास रजिस्ट्रेशन करना जरूरी हो जायेगा। इसके साथ ही इन कंपनियों को अपने रीसायकल का टारगेट भी देना होगा। इन्हें दिये गये टारगेट को पूरा भी करना होगा। इतना ही नहीं कंपनियों द्वारा टारगेट पूरा नहीं करने पर कंपनियों पर पेनल्टी भी लगेगी। इसके लिए कंपनियों को वेस्ट रीसायकलिंग फैसिलिटी बनानी होगी।