FIDE Chess World Cup: दुनिया के नंबर वन चेस खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) बनाम भारत के युवा स्टार 18 वर्षीय रमेशबाबू प्रगनानंद (Rameshbabu Praggnanandhaa) का दूसरा गेम ड्रॉ पर समाप्त हो गया है। इसके साथ ही कार्लसन ने 2023 FIDE विश्व कप का खिताब जीत लिया है। प्रगनानंद ने फिडे विश्व कप शतरंज टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में टाईब्रेक में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने ट्वीट कर प्रगनानंद को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी है।
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने ट्वीट किया, "रमेशबाबू प्रगनानंद 2023 FIDE विश्व कप के उपविजेता हैं। प्रभावशाली टूर्नामेंट के लिए 18 वर्षीय भारतीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी को बधाई। फाइनल में पहुंचने के रास्ते में प्रगनानंद ने विश्व के #2 हिकारू नाकामुरा और #3 फैबियानो कारूआना को हराया। रजत पदक जीतकर प्रग्गनानंद ने FIDE कैंडिडेट्स के लिए टिकट भी हासिल कर लिया है।''
सेमीफाइनल में प्रगनानंद का मुकाबला विश्व के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना से था जिन्हें उन्होंने रक्षण का अच्छा नमूना पेश करके टाई ब्रेकर में पराजित किया। प्रगनानंद को आनंद की तरह शुरू से ही अपने परिवार विशेषकर अपनी मां का साथ मिला। उनकी मां नागालक्ष्मी प्रत्येक टूर्नामेंट के दौरान उनके साथ रहती है जिसका इस युवा खिलाड़ी को भावनात्मक लाभ मिलता है।
जिस आर प्रगनानंद का उनके माता-पिता ने टेलीविजन से दूर रखने के लिए शतरंज से परिचय कराया, वही किशोर खिलाड़ी 64 खानों के इस खेल के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। इस 18 वर्षीय खिलाड़ी को पिछले कुछ समय से पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है। उन्होंने बाकू में चल रहे फिडे विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करके इसे सही साबित भी कर दिया।
विश्वनाथन आनंद के बाद भारत को मिला दूसरा स्टार
आनंद के बाद प्रगनानंद दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कैंडिडेट टूर्नामेंट में जगह बनाई है। प्रगनानंद ने साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था तथा अपने करियर में वह अभी तक कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। पिछले साल उन्होंने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और पूर्व क्लासिकल चैंपियन मैग्नस कार्लसन को एक ऑनलाइन टूर्नामेंट में हराया था।
प्रज्ञानानंदा ने अब तक दिखाया है कि वह दबाव झेलने और खेल के चोटी के खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हैं। भारतीय शतरंज के गढ़ चेन्नई के रहने वाले प्रगनानंद ने छोटी उम्र से ही इस खेल में नाम कमाना शुरू कर दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय अंडर सात का खिताब जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर और उसके दो साल बाद ग्रैंड मास्टर बन गए थे।