Mary Kom Retirement: महिलाओं की प्रेरणास्त्रोत और भारत में लड़कियों के लिए बॉक्सिंग (World Boxing) को एक बड़ा स्पोर्ट बनाने वाली दिग्गज बॉक्सर मैरी कॉम ने संन्यास का ऐलान कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ के नियमानुसार कोई भी खिलाड़ी 40 की उम्र तक ही प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकता है।इन्हीं नियमों का पालन करते हुए मैरी कॉम (Mary Kom) ने संन्यास का ऐलान कर दिया। मैरी कॉम बॉक्सिंग (Boxing) के इतिहास में छह वर्ल्ड खिताब जिताने वाली पहली महिला मुक्केबाज हैं। पांच बार की एशियाई चैंपियन रह चुकी मैरी कॉम ने 2014 में एशियाई (Asian Games) खेलों में गोल्ड मेडल जीता, इस प्रतियोगिता में ऐसा करने वाली वो पहली महिला मुक्केबाज थीं।
रिटायरमेंट लेने पर झलका दुख
एक कार्यक्रम के दौरान मैरी कॉम ने बताया कि वो अभी भी इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में लड़ना चाहती हैं लेकिन उम्र सीमा के नियम की वजह से ऐसा नहीं कर पाएंगी। "मैं अभी और खेलना चाहती हूं लेकिन मुझे मेरी उम्र की वजह से खेल छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मुझे संन्यास लेना होगा और मैं ऐसा करने भी जा रही हूं।"
कैसा रहा मैरी कॉम का शानदार करियर
मैरी कॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। 18 साल की उम्र में मैरी ने स्क्रैंटन, पेनसिल्वेनिया के उद्घाटन वर्ल्ड सम्मेलन में खुद को दुनिया के सामने पेश किया। मुक्केबाजी से सबी को प्रबावित करते हुए मैरी ने फाइनल में जगह बनाई। 48 किलो कैटेगरी में खेलते हुए उन्होंने फाइनल में तो बनाई लेकिन जीत नहीं पाई। AIB में महिला वर्ल्ड मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीतने वाली वो पहली महिला बनीं। उन्होंने 2005, 2006, 2008 और 2010 सीजन में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीता। 2008 का खिताब जीतने के बाद मैरी नो दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया और कुछ समय के लिए ब्रेक पर चली गईं।
2012 ओलंपिक मेडल जीतने के बाद मैरी ने तीसरे बच्चे को जन्म दिया और फिर से एक बार ब्रेक ले लिया। मैरी ने वापसी तो की लेकिन 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में वो टॉप पर पहुंची। अपने छठे वर्ल्ड खिताब के लिए मैरी ने यूक्रेन के हन्ना ओखोटा में 5-0 से जीत दर्ज की। एक साल बाद उन्होंने अपना आठवां वर्ल्ड मेडल जीता। किसी भी महिला और पुरुष खिलाड़ी से ज्यादा मेडल उन्होंने बॉक्सिंग में अपने नाम किए हैं जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है।