आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके फ्लेयर्स पर अवलोकन प्रदान कर सकता है। कण डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और L1 के चारों ओर हेलो कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि इस बात की संभावना है कि इसे 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा। स्पेसक्राफ्ट को L1 के चारों ओर एक हॉलो ऑर्बिट में स्थापित किये जाने की योजना है। इसरो ने कहा कि एल1 बिंदु के आसपास हेलो ऑर्बिट में रखे गए सैटेलाइट को सूर्य को बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के लगातार देखने का बड़ा फायदा होता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक फायदा मिलेगा। आदित्य एल1 पेलोड के सूट से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है।