तमिलनाडु के मदुरै में शनिवार को एक खड़े निजी कोच में आग लगने से दस लोगों की मौत हो गई और सात घायल हो गए। रेलवे ने कहा कि यह आग गैस सिलेंडरों के कारण लगी थी जो यात्री कथित तौर पर ले जा रहे थे। News18 से बात करते हुए, दक्षिण रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, बी गुगनेसन ने कहा कि 63 यात्रियों ने 17 अगस्त को लखनऊ से कोच में अपनी यात्रा शुरू की। यह एक निजी पार्टी कोच है जिसे ट्रैवल एजेंट भसीन ट्रैवल्स, सीतापुर द्वारा बुक किया गया है। आग सुबह सात बजे के आसपास बुझा दी गई और कोच के भीतर ही काबू पा लिया गया और किसी अन्य कोच को कोई नुकसान नहीं हुआ। एक बयान में, रेलवे ने कहा कि प्राइवेट पार्टी कोच को शुक्रवार को नागरकोइल जंक्शन पर ट्रेन 16730 पुनालुर-मदुरै एक्सप्रेस के साथ जोड़ा गया था, जो सुबह 3.47 बजे मदुरै पहुंची। पार्टी कोच को अलग कर दिया गया और मदुरै स्टेबलिंग लाइन पर रखा गया है। इस भयानक हादसे के बाद ऐसे में अब यह जानना जरूरी हो गया है कि ट्रेन में ज्वलवनशील वस्तुओं को ले जाने के क्या नियम कानून हैं।
गैस सिलेंडर, पटाखे, एसिड, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, थर्मल वेल्डिंग, स्टोव और इस तरह के दूसरे ज्वलनशील वस्तुओं को ले जाने से संबंधित रेलवे ने कुछ नियम और कानून बनाए हैं। रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 67,164 और 165 के तहत इस तरह की वस्तुओं को ले जाना एक तरह का दंडनीय अपराध है। वहीं रेलवे अधिनियम की धारा 67 खतरनाक या आपत्तिजनक सामान की ढुलाई के बारे में डिटेल से बताती है। इसके अलावा धारा 164 और धारा 165 रेलवे पर गैरकानूनी तरीके से आपत्तिजनक सामान लाने के बारे में बात करती है।
यह एक ऐसा अपराध है जिसके लिए तीन साल तक की कैद या 500 रुपये से 1,000 रुपये तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके अलावा ऐसे यात्री ट्रेन में ऐसा सामान लाने के कारण होने वाली किसी भी हानि, चोट या क्षति के लिए भी उत्तरदायी होंगे। न्यूज18 से बात करते हुए रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जब यात्री पार्सल बुक कर रहे होते हैं, तब भी इन वस्तुओं पर प्रतिबंध होता है। इसके अलावा, रेलवे मैनुअल के पैरा 9 में कहा गया है कि निजी पर्यटक दलों को एक लिखित घोषणा देनी चाहिए कि वे अपनी यात्रा के दौरान कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जाएंगे। ताजा अग्निकांड में प्राइवेट पार्टी ने भी घोषणा पत्र दिया था कि वे कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जायेंगे।