ऑटो रिक्शा (Auto Rikshaw) एक ऐसा वाहन है जो तीन पहियों के सहारे चलता है। इसका प्रयोग कई जगहों पर होता है। ऑटो रिक्शा को ऑटो, टेम्पो (Tempo), टुक-टुक (Tuk Tuk), रिक्शा आदि कई नामों से भी जाना जाता है। आज भारत में ये थ्री-व्हीलर (Three-wheeler) या तीन पहिया ऑटो आपको हर जगह नज़र आएंगे। सालों से ये थ्री-व्हीलर पूरे देश में स्थानीय लोगों की आवाजाही का प्रमुख साधन बने हुए हैं। छोटा शहर हो या बड़ा, आपको अलग-अलग डिजाइन या प्रकार के ऑटो रिक्शे सड़कों पर दौड़ते मिल जाएंगे। . भारत के कुछ शहरों में इन्हें टेम्पो (tempo) कहा जाता है। दिखने में ये काफी बड़े होते हैं।
तीन पहिये होने के कारण ऑटो आसानी से भीड़भाड़ मे से गुजर जाता है। संकरी गलियों में सवारी छोडकर आसानी से मुड़कर आ सकता है। पहिये कम होने के कारण यह सस्ता होता है। अच्छी माइलेज भी देता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर कई तरह के सवाल लोग पूछते रहते हैं। ऐसे ही पूछा गया कि ऑटो को लोग टेम्पो क्यों कहते हैं ?
ऑटो रिक्शा को टेम्पो क्यों कहते हैं?
जैसे कि बहुत से लोग जानते हैं कि टेम्पो म्यूजिक में एक अहम शब्द है। इसका अर्थ गाने की गति से है। लेकिन ऑटो को टेम्पो क्यों कहते हैं। यह जानना बहुत रोचक है। कोरा पर एक यूजर ने लिखा कि विडाल एंड सन टेम्पो वर्क जीएमबीएच एक जर्मन कंपनी थी। इसे टेम्पो के नाम से जाना जाता है। यह कंपनी जर्मनी के हैंबर्ग में थी। इस कंपनी को 1924 में ऑस्कर विडाल ने शुरू किया था। जर्मनी में ये काफी मशहूर हो गई। ये मैटाडोर वैन और हैनसीट थ्री व्हीलर गाड़ियां भी बनाती थी। इसे हम ऑटो रिक्शा या टेम्पो कहते हैं। 1930 और 1940 के दौरान इस कंपनी ने छोटी मिलिट्री गाड़ियां भी बनाई थीं।
लोगों के लिए बड़ा ऑप्शन है ऑटो
जब से मार्केट में ऑटो (Auto) की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक देश के सभी शहरों, गांवों में आसानी से देखने को मिल जाते हैं। हालांकि, आज शहरों में मेट्रो लोकल ट्रेन और इलेक्ट्रिक बस चलाई जा रहे हैं। इसके बावजूद ऑटो की जरूरत कम नहीं हुई है। आज भी लोग इस पर चलना पसंद करते हैं। दिनों दिन ऑटो का बाजार बढ़ता जा रहा है। ऑटो बनाने वाली कंपनियां इसका अपडेट वर्जन लॉन्च कर रही हैं। ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके और लोगों को आवाजाही में किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।