Bar Codes on Medicine Packs: नकली दवाओं के खतरे को रोकने के लिए सरकार दवा कंपनियों के लिए 300 दवाओं के फॉर्मूलेशन पैकेट पर बार कोड प्रिंट करना अनिवार्य करने जा रही है। दवाओं के पैकेट पर बारकोड अनिवार्य करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इनके पैकेट्स की स्कैनिंग करने पर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस और बैच नंबर जैसी तमाम जानकारी हासिल की जा सके। बता दें कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 में संशोधन के बाद 300 दवाओं के फॉर्म्यूलेशन पैकेज पर बार कोड छापने के नियम अगले साल मई से लागू हो जाएंगे।
बार कोड से असली और नकली दवा की होगी पहचान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन 300 मेडिजिन फॉर्मूलेशन पर बार कोड छापे जाने हैं। उनका एक बड़ा हिस्सा ज्यादातर दुकानदारों से खरीदा जाता है। इस संशोधन का मकसद नकली दवाओं की सप्लाई को रोकना और पब्लिक हेल्थ सर्विसेज में सुधार लाना है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बार कोड या क्यूआर कोड (QR code) के जरिए पता चल जाएगा कि दवा असली है या नकली है। बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जून में इस मामले में एक ड्राफ्ट गैजेटेड नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें लोगों से टिप्पणी और जवाब मागे गए थे। फिलहाल टिप्पणी और आगे के विचार-विमर्श के आधार पर मंत्रालय इसे अंतिम रूप देने की तैयारी में है।
अगले साल दिसंबर तक सभी दवाएं होंगी दायरे में
पहले चरण में टॉप फार्मा ब्रांडों के 300 ड्रग्स को इस दायरे में लाया जाएगा। जिसका कुल मार्केट शेयर का करीब 35 फीसदी है। अगले साल दिसंबर तक सभी दवाओं को बार कोड के तहत कवर किया जा सकता है। दवाओं में Allegra, Amlokind, Azithral, Betadine, Calpol, Ceftum, Combiflam, Dolo, Dulcoflex, Ecosprin, Gelusil, Jalra, Lantus, Manforce, Meftal Spaz, Shelcal, Human Mixtard, Pan 40, Otrivin, Pantocid, Rantac, Stamlo, T-bact ointment and unwanted kit and Volini spray शामिल हैं।