दिग्गज स्वीडिश कंपनी IKEA को एक केस में एक महिला के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा है। केस की वजह थोड़ी हैरान करने वाली है। दरअसल महिला ने IKEA पर कैरी बैग को लेकर केस किया था और उसकी कीमत भी महज 20 रुपये ही थी। बेंगलुरु के IKEA आउटलेट ने खरीदारी के बाद उससे कैरी बैग के लिए चार्ज मांगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब बेंगलुरु की एक अदालत ने IKEA को रिफंड के साथ साथ 3,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है।
महिला ने की थी IKEA से खरीदारी
संगीता बोहरा नाम की महिला ने पिछले साल अक्टूबर में बेंगलुरु स्थित IKEA का दौरा किया था। उन्होंने स्टोर से 2,428 रुपये की खरीदारी की थी। एक बिलिंग काउंटर पर, उसे एहसास हुआ कि उससे IKEA ब्रांडिंग वाले कैरी बैग के लिए 20 रुपये चार्ज किया था। जब उन्होंने बताया कि ग्राहकों से कंपनी की ब्रांडिंग वाले बैग के लिए पैसा नहीं लिया जा सकता है, तो भी कथित तौर पर कर्मचारियों ने महिला से कैरी बैग के लिए पैसे ले लिये। बोहरा ने आखिरकार बैग के लिए 20 रुपये का भुगतान किया और शोरूम छोड़ दिया।
कैरी बैग को लेकर कुछ तरह के नियम भी निर्धारित किए गए हैं। नियम के मुताबिक रिटेल शॉप्स कंपनी के लोगो वाले कैरी बैग के लिए ग्राहकों से चार्ज नहीं ले सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बाद में बेंगलुरु निवासी ने IKEA को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसका जवाब देते हुए कंपनी ने रिफंड देने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने बेंगलुरु शहरी इलाके के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से इसके बारे में शिकायत की।
कंज्यूमर फोरम ने महिला के हक में सुनाया फैसला
4 अक्टूबर को, कंज्यूमर फोरम ने फैसला सुनाया कि IKEA ने गलत व्यापार व्यवहार किया है और कहा कि उसे महिला को मुआवजा देना चाहिए। अदालत ने IKEA को कैरी बैग के 20 रुपये वापस करने और उसे कुल 3,000 रुपये मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया, जिसमें उसका अदालती खर्च भी शामिल है। IKEA को एक महीने के भीतर भुगतान करने के लिए कहा गया था।